क्या बिहार चुनाव में पीरपैंती पर राजद और भाजपा के बीच होगा मुकाबला?

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क्या बिहार चुनाव में पीरपैंती पर राजद और भाजपा के बीच होगा मुकाबला?

सारांश

पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र, जो भागलपुर जिले में स्थित है, एक महत्वपूर्ण अनुसूचित जाति सुरक्षित सीट है। यह क्षेत्र सांस्कृतिक धरोहर और राजनीतिक अस्थिरता के लिए जाना जाता है। यहां की राजनीतिक तस्वीर में बदलाव और मतदाता विविधता इसे और भी दिलचस्प बनाती है। क्या इस बार राजद और भाजपा के बीच मुकाबला होगा?

Key Takeaways

  • पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र की सामाजिक और राजनीतिक विविधता महत्वपूर्ण है।
  • गंगा नदी का क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव है।
  • यह क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, जो इसे खास बनाता है।
  • इस क्षेत्र में पिछले चुनावों में कई राजनीतिक दलों ने जीत हासिल की है।
  • 2020 के चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर कब्जा किया था।

पटना, 23 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के भागलपुर जिले में स्थित पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र एक अनुसूचित जाति (एससी) सुरक्षित सीट है, जो भागलपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह क्षेत्र पीरपैंती और कहलगांव प्रखंडों में फैला हुआ है और झारखंड की सीमा से सटा हुआ है। पीरपैंती जिले का सबसे बड़ा प्रखंड है, जिसमें 89 गांव और 29 पंचायतें शामिल हैं।

पीरपैंती अपनी सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी प्रसिद्ध है। प्रखंड के ईशीपुर में स्थित मां काली का मंदिर करीब 150 साल पुराना है, जबकि यहां का प्रसिद्ध शिव मंदिर लगभग 100 वर्ष पुराना है। इसके अलावा, गंगा नदी के किनारे स्थित इस क्षेत्र में एक पीर की मजार है, जो विभिन्न धर्मों के लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।

पीरपैंती पावर प्लांट, जिसे स्थानीय तौर पर 'पीरपैंती बिजली घर' के नाम से जाना जाता है, क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण बिजलीघर है। इसके साथ ही, पीरपैंती रेलवे स्टेशन पूर्वी रेलवे के मालदा मंडल के अंतर्गत साहिबगंज लूप लाइन पर स्थित है, जो यहां के संपर्क को मजबूत करता है।

गंगा नदी पीरपैंती की जीवनरेखा है, जिसका धार्मिक, सांस्कृतिक, कृषि और आर्थिक महत्व है। नदी के किनारे बसे इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था कृषि, मछली पालन, व्यापार और लघु उद्योगों पर आधारित है।

राजनीतिक दृष्टिकोण से, 1951 में स्थापित पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र प्रारंभ में सामान्य श्रेणी का था, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया। अब तक यहां कुल 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें सीपीआई ने छह बार, कांग्रेस ने पांच बार, राजद ने चार बार और भाजपा ने दो बार जीत दर्ज की है।

साल 2000 से पहले कांग्रेस और वामपंथी दलों का दबदबा रहा, लेकिन बाद में यह सीट राजद और भाजपा के बीच बारी-बारी से जाती रही। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के ललन सिंह ने राजद के रामविलास पासवान को हराकर इस सीट पर कब्जा किया।

पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मतदाता सबसे अधिक हैं। इसके अलावा, मुस्लिम, वैश्य, कुर्मी-कोइरी और धानुक समुदाय के वोटर भी अच्छी संख्या में हैं, जो यहां की राजनीतिक और सामाजिक विविधता को दर्शाते हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि बिहार के पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास कई राजनीतिक बदलावों का गवाह रहा है। यहां की विविधता और सामाजिक संरचना इस क्षेत्र की राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित करती है। यह एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहां मतदाता अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं।
NationPress
15/12/2025

Frequently Asked Questions

पीरपैंती विधानसभा क्षेत्र क्यों महत्वपूर्ण है?
यह क्षेत्र अनुसूचित जाति सुरक्षित सीट है और इसका सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व है।
इस बार के चुनाव में कौन सी पार्टियों के बीच मुकाबला होगा?
राजद और भाजपा के बीच मुख्य मुकाबला देखने को मिल सकता है।
पीरपैंती की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
यहां की सांस्कृतिक धरोहर, गंगा नदी और राजनीतिक विविधता इसे खास बनाती है।
इस क्षेत्र के मतदाताओं की संरचना कैसी है?
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, मुस्लिम, वैश्य, कुर्मी-कोइरी और धानुक समुदाय के लोग मतदाता हैं।
क्या यहां का बिजलीघर महत्वपूर्ण है?
हां, पीरपैंती पावर प्लांट क्षेत्र की बिजली जरूरतों को पूरा करता है।
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