क्या बिहार चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने विशेष मतदाता सत्यापन अभियान शुरू किया?

सारांश
Key Takeaways
- मतदाता सत्यापन अभियान का उद्देश्य हर मतदाता की पात्रता की पुष्टि करना है।
- चुनाव आयोग ने बूथ लेवल अफसरों की संख्या बढ़ाई है।
- एक लाख से अधिक स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं।
- मतदाता सूची में 7.89 करोड़ मतदाता पंजीकृत हैं।
- राजनीतिक दल भी इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।
नई दिल्ली, 28 जून (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व, चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रारंभ किया है। इसका मुख्य उद्देश्य राज्य के प्रत्येक मतदाता की पात्रता की पुष्टि करना है।
यह अभियान राजनीतिक दलों और जिला प्रशासन के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। इसके तहत, चुनाव आयोग ने बूथ स्तर पर कार्यरत कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि की है। एसआईआर के कार्यक्रम के अंतर्गत, ईसीआई ने पहले से मौजूद 77,895 बूथ लेवल अफसरों (बीएलओ) के अलावा 20,603 और बीएलओ नियुक्त किए हैं।
इससे अधिक, एक लाख से अधिक स्वयंसेवक भी तैनात किए गए हैं, जो बुजुर्गों, दिव्यांगों, बीमार, गरीब और कमजोर वर्ग के मतदाताओं की सहायता करेंगे।
सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य राजनीतिक दलों ने पुनरीक्षण प्रक्रिया में सहायता के लिए 1,54,977 बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) नियुक्त किए हैं, और आगे भी एजेंट नियुक्त करने का विकल्प दिया गया है। बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में पंजीकृत 7.89 करोड़ मतदाताओं के लिए गणना प्रपत्र (ईएफ) घर-घर जाकर वितरित किए जा रहे हैं और ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं।
इनमें लगभग 4.96 करोड़ मतदाता ऐसे हैं जो 1 जनवरी 2003 से पहले पंजीकृत हो चुके थे। उन्हें केवल अपनी जानकारी की पुष्टि करके फॉर्म जमा करना है।
जिला मजिस्ट्रेट और संभागीय आयुक्त बीएलओ की तैनाती की देखरेख कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, चुनाव आयोग बिहार में 5.74 करोड़ रजिस्टर्ड मोबाइल नंबरों पर एसएमएस भेजकर भी मतदाताओं से संपर्क कर रहा है।
चुनाव आयोग ने कहा है कि सभी कार्य निर्धारित समय पर चल रहे हैं और यह भी भरोसा दिलाया कि केवल 18 वर्ष से ऊपर के भारतीय नागरिक, जो संबंधित क्षेत्र में निवास करते हैं, वही वोट देने के योग्य होंगे।
यह अभियान बिहार में अब तक का सबसे बड़ा मतदाता सत्यापन अभियान माना जा रहा है, जो अधिकतम नागरिक और राजनीतिक भागीदारी के माध्यम से एक स्वच्छ और सटीक मतदाता सूची सुनिश्चित करने के लिए ईसीआई के प्रयास को दर्शाता है।
चुनाव नजदीक आने पर राजनीतिक दल भी सक्रिय हो गए हैं। वे जनता से मिल रहे हैं, रैलियां कर रहे हैं और कुछ कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं भी कर चुके हैं।
इसके अलावा, कांग्रेस और सीपीआई जैसे विपक्षी दल मतदाता सूची संशोधन पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग पर भाजपा के इशारे पर कार्य करने के आरोप लगा रहे हैं।