क्या बिहार को समझने के लिए प्रशांत किशोर को चुनाव लड़ना चाहिए था: राजीव प्रताप रूडी?

सारांश
Key Takeaways
- प्रशांत किशोर का चुनावी मैदान से दूर रहना चिंता का विषय है।
- राजीव प्रताप रूडी ने प्रशांत किशोर की दोस्ती और उनके निर्णय पर अफसोस जताया।
- भाजपा पर जन सुराज के प्रत्याशियों को तोड़ने का आरोप है।
पटना, 21 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने मंगलवार को जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर पर प्रत्याशियों को तोड़ने के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रशांत किशोर को बिहार को समझने के लिए एक चुनाव लड़ना चाहिए था। उन्होंने प्रशांत किशोर के चुनाव नहीं लड़ने के फैसले पर अफसोस जताते हुए कहा कि यह चिंता की बात है.
सारण के सांसद राजीव प्रताप रूडी ने पटना में मीडिया से बातचीत में जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को एक अच्छा दोस्त और आदमी बताते हुए कहा कि कौन किसके प्रत्याशी को तोड़ रहा है, यह तो बाद की बात है, लेकिन मुझे सदमा लगा है कि वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
उन्होंने कहा, "बिहार में नहीं, बल्कि दिल्ली और मुंबई में लोग कहते थे कि एक बड़ा नेता उभरकर आया है। ऐसे में वे चुनाव मैदान में नहीं हैं। बिहार को समझने के लिए कम से कम एक बार चुनाव लड़ना चाहिए था और जनता के बीच में जाना चाहिए था। जीतकर विधानसभा में जाना चाहिए था और तब टिप्पणी करनी चाहिए थी।"
उन्होंने आगे कहा कि मुझे अफसोस है कि वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। बिहार की जनता को भी अफसोस है कि इतने बड़े पार्टी का जनरल बना हो और खुद ही मैदान से बाहर निकल जाए। यह चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि क्या हो रहा है, क्या नहीं हो रहा है, यह तो तब सुना जाता जब वे चुनाव लड़ते।
बता दें कि इससे पहले प्रशांत किशोर ने मंगलवार को दावा किया था कि भाजपा को महागठबंधन से नहीं, बल्कि जन सुराज से डर लग रहा है। उन्होंने भाजपा पर जन सुराज के प्रत्याशियों को तोड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने पटना में एक प्रेस वार्ता में दानापुर, गोपालगंज और ब्रह्मपुर विधानसभा क्षेत्रों के जन सुराज से घोषित प्रत्याशियों के उदाहरण देते हुए कहा कि इन तीनों प्रत्याशियों पर दबाव डालकर चुनाव लड़ने से रोक दिया गया। उन्होंने कहा कि भाजपा जानती है कि वह महागठबंधन के जंगलराज का भय दिखाकर वोट ले ही लेगी, लेकिन असल में उन्हें जन सुराज से भय है.