क्या बिहार में सीएम-डिप्टी सीएम चेहरे की घोषणा न होने पर मुकेश सहनी की बात सही है?
सारांश
Key Takeaways
- मुकेश सहनी ने एनडीए की सीएम चेहरे की घोषणा पर सवाल उठाए।
- महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा की पारदर्शिता पर संदेह है।
- सहनी ने बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने की संभावना जताई।
- बेरोजगारी और जनता की समस्याओं पर एनडीए की आलोचना की।
- महागठबंधन सभी जातियों का सम्मान करने का दावा करता है।
पटना, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में महागठबंधन के उपमुख्यमंत्री उम्मीदवार और विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने एनडीए के सीएम चेहरे की घोषणा न होने पर शंका व्यक्त की है। उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाना है तो भाजपा इसे प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से स्पष्ट कर दे।
मुकेश सहनी ने कहा, "एनडीए के लोग भ्रमित कर रहे हैं। जैसे हमने अपने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री उम्मीदवारों की घोषणा की, उसी तरह भाजपा भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीएम चेहरे की घोषणा करे, तभी मैं उन पर विश्वास करूंगा।"
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की घटना सबको याद होगी। उस समय भी ये लोग कहते थे कि शिंदे को मुख्यमंत्री बना रहे हैं, लेकिन अंत में फडणवीस को मुख्यमंत्री बना दिया गया। ये लोग इस तरह के काम करते रहते हैं, ये लोग विश्वास करने लायक नहीं हैं। बड़ी बात यह है कि यहां तो एनडीए की सरकार बन ही नहीं रही है।
मुकेश सहनी ने कहा कि कुछ दिनों पहले भाजपा ने कहा था कि चुनाव जीतने के बाद विधायक दल के नेता चुनेंगे कि अबकी बार मुख्यमंत्री कौन बनेगा। ये लोग बार-बार अलग-अलग बयान देते रहते हैं। अगर नीतीश कुमार का नाम आएगा तब भी हमें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। पिछली बार नीतीश कुमार कैसे मुख्यमंत्री बने, यह सबको याद होगा।
उन्होंने कहा कि एनडीए को यह बात परेशान कर रही है कि एक अति पिछड़े समाज का व्यक्ति उपमुख्यमंत्री कैसे बन जाएगा। वे भाई-भाई को लड़ाना चाहते हैं। हम सभी जातियों और धर्मों के लोगों को सम्मान देंगे। हम बांटने वाली राजनीति नहीं करते हैं। बिहार में इस बार एनडीए की सरकार बाहर जा रही है और महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है। जनता का विश्वास हम पर है।
उन्होंने कहा कि बिहार की जनता एनडीए की सरकार के कार्यों से संतुष्ट नहीं है। यहां जनता की समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है। नीतीश कुमार के दौर में बेरोजगारी सबसे ज्यादा देखी जा रही है। ये लोग केवल अपने लोगों पर ध्यान देते हैं।