क्या तेजस्वी यादव की भाषा को बिहार की जनता स्वीकार करेगी?

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क्या तेजस्वी यादव की भाषा को बिहार की जनता स्वीकार करेगी?

सारांश

बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव की तीखी टिप्पणियों पर जेडीयू नेताओं का कड़ा विरोध, मनीष वर्मा का बयान। क्या तेजस्वी यादव की भाषा जनता को स्वीकार है? जानिए इस सियासी बयानबाजी का असर क्या होगा।

Key Takeaways

  • तेजस्वी यादव की भाषा पर जेडीयू का कड़ा विरोध
  • मनीष वर्मा का बयान: राजनीतिक असहमति स्वाभाविक है
  • दुलारचंद यादव की हत्या के संदर्भ में पुलिस कार्रवाई
  • बिहार में जंगलराज की स्थिति नहीं
  • प्रधानमंत्री का पद संविधानिक है

पटना, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की राजनीति में सियासी बयानबाजियों का दौर और तेज हो गया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई तीखी टिप्पणी को लेकर जेडीयू ने कड़ा विरोध जताया है। तेजस्वी ने कहा था कि ये लोग प्रण लेकर प्राण ले लेने वाले लोग हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष वर्मा ने कहा कि तेजस्वी यादव जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, वह पूरी तरह अनुचित और असंवेदनशील है।

मनीष वर्मा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री का पद एक संविधानिक पद है। इस पद की गरिमा और मर्यादा का ध्यान रखा जाना चाहिए। किसी भी नेता को, चाहे वह किसी भी दल से हो, ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बिहार की जनता देख रही है कि तेजस्वी यादव किस प्रकार की भाषा बोल रहे हैं और राज्य के लोग इसे बिल्कुल पसंद नहीं करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि राजनीतिक असहमति होना स्वाभाविक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि नेता इस प्रकार के शब्दों का इस्तेमाल करें जो लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचाए।

मोकामा में जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या को लेकर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है। मनीष वर्मा ने कहा कि पुलिस इस घटना पर काम कर रही है और दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। मजबूत और निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी।

तेजस्वी यादव द्वारा यह कहे जाने पर कि पैरोल पर जेल से बाहर निकालेंगे तो यही हाल होगा पर जेडीयू नेता ने कहा कि पैरोल पर जो भी बाहर आता है, वह कानूनी प्रक्रिया के तहत ही आता है। हर दल के लोगों पर मुकदमे होते हैं और वे कानून के अनुसार जेल जाते हैं या बाहर आते हैं। अब बिहार में जंगलराज की स्थिति नहीं है कि रात में अपराधी जेल से बाहर निकलें, अपराध करें और फिर जाकर जेल में सो जाएं।

जानकारी के अनुसार, मोकामा में गुरुवार को जन सुराज पार्टी से जुड़े दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। दो समूहों के बीच हुई फायरिंग के दौरान दुलारचंद यादव की मौत हो गई। जन सुराज पार्टी से जुड़े दुलारचंद यादव की हत्या का आरोप पूर्व विधायक अनंत सिंह पर लगा है। हालांकि, अनंत सिंह ने आरोपों को सिरे से खारिज किया है।

अनंत सिंह ने कहा कि वह अपने समर्थकों के साथ क्षेत्र में गए थे, जहां कुछ असामाजिक तत्वों ने उनके खिलाफ नारेबाजी और गाली-गलौज शुरू कर दी। इसके बावजूद उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और वहां से निकल गए। घटना के समय वहां मौजूद लोगों के पास पहले से हथियार थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह पूरी योजना राजद नेता सूरजभान सिंह के द्वारा रची गई थी, ताकि वोटों को डिस्टर्ब किया जा सके।

Point of View

यह समझना आवश्यक है कि राजनीतिक बयानबाजी और व्यक्तिगत हमले लोकतंत्र की गरिमा को प्रभावित कर सकते हैं। बिहार की जनता ऐसी भाषा को स्वीकार नहीं करेगी। राजनीतिक असहमति होना स्वाभाविक है, लेकिन इसे एक स्वस्थ तरीके से व्यक्त किया जाना चाहिए।
NationPress
30/10/2025

Frequently Asked Questions

तेजस्वी यादव की टिप्पणी पर जेडीयू का क्या कहना है?
जेडीयू के मनीष वर्मा ने कहा कि तेजस्वी यादव की भाषा अनुचित और असंवेदनशील है।
क्या बिहार में कानून-व्यवस्था ठीक है?
मनीष वर्मा ने कहा कि बिहार में अब जंगलराज की स्थिति नहीं है।
दुलारचंद यादव की हत्या के पीछे कौन है?
दुलारचंद यादव की हत्या का आरोप पूर्व विधायक अनंत सिंह पर लगा है।
क्या पुलिस कार्रवाई करेगी?
मनीष वर्मा ने कहा कि पुलिस दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।
तेजस्वी यादव की भाषा का प्रभाव क्या होगा?
राज्य के लोग तेजस्वी यादव की भाषा को पसंद नहीं करेंगे।