क्या राष्ट्रीय एकता दिवस पर पहलगाम से सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश दिया गया?
सारांश
Key Takeaways
- राष्ट्रीय एकता दिवस पर पहलगाम में एकता मार्च आयोजित किया गया।
- इसमें विभिन्न धर्मों के नेताओं ने भाग लिया।
- यह कार्यक्रम सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक है।
- भारतीय सेना ने आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया।
- भारत की विविधता उसकी शक्ति है।
श्रीनगर, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय एकता दिवस की पूर्व संध्या पर पहलगाम घाटी से एक सशक्त संदेश भेजा गया जिसमें सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता को प्रमुखता दी गई। धार्मिक प्रमुखों और बॉलीवुड अभिनेता मुकेश ऋषि एवं प्रीति सप्रू समेत एक बहु-धार्मिक प्रतिनिधिमंडल ने इंडियन माइनॉरिटीज फेडरेशन द्वारा आयोजित एकता मार्च में भागीदारी की।
यह कार्यक्रम 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के शिकारों की स्मृति में आयोजित किया गया, जहां बलिदान स्तंभ पर पुष्प अर्पित किए गए।
इस अवसर पर विभिन्न धर्मों की प्रार्थनाएं की गईं। कश्मीरी महिलाओं और बच्चों ने भारतीय सेना के जवानों को रक्षा सूत्र बांधे, जो एकजुटता और सुरक्षा का प्रतीक बने।
यह एकता मार्च इस साल के उस दिल दहला देने वाली घटना के बाद आयोजित किया गया जिसमें पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या की थी। इनमें 25 विदेशी पर्यटक और एक स्थानीय घोड़ा मालिक शामिल थे।
इस घटना ने पूरे देश में रोष पैदा किया। इसके जवाब में भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और मुख्य पाकिस्तान में 9 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया।
जब पाकिस्तान ने नागरिक और सैन्य ठिकानों पर हमलों को बढ़ाया, भारत ने बिना सीमा पार किए सटीक हमलों के जरिए पाकिस्तान के 18 रक्षा अड्डों को तबाह किया।
पहलगाम में गुरुवार को सभी धर्मों के लोग एकत्र होकर यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत एकजुट है। जो भी शांति और अखंडता को भंग करने का प्रयास करेगा, उसे कड़ा जवाब दिया जाएगा। इस आयोजन ने ‘वन नेशन, वन पीपल’ की भावना को और मजबूत किया। भारत की विविधता उसकी ताकत है और कोई भी दुश्मन इसे तोड़ नहीं सकता।
भारतीय अल्पसंख्यक महासंघ ने कहा कि पहलगाम का यह संदेश सिर्फ शब्द नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की अटूट एकता और सांप्रदायिक सद्भाव की एक घोषणा है।