क्या बिहार में महागठबंधन के नेता के नाम पर राहुल चुप हैं और तेजस्वी का चेहरा क्यों लटका है? : सुधांशु त्रिवेदी

सारांश
Key Takeaways
- सुधांशु त्रिवेदी का बयान महागठबंधन की स्थिति को उजागर करता है।
- तेजस्वी यादव की चिंता उनके राजनीतिक भविष्य को दर्शाती है।
- बिहार की जनता को नेताओं की वास्तविकता समझनी होगी।
- एनडीए का एकजुट होना उनके विकास को दर्शाता है।
- राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाए गए हैं।
जयपुर, 7 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से राजनीतिक बयानबाजी में तेजी आई है। सभी पार्टियाँ एक-दूसरे पर कटाक्ष करने और अपनी स्थिति को मजबूत करने में लगी हुई हैं। इसी बीच, भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी का एक महत्वपूर्ण बयान सामने आया है। उन्होंने न केवल इंडिया गठबंधन पर हमला किया, बल्कि लालू प्रसाद यादव के परिवार पर भी तंज कसा।
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी के साथ मिलकर यात्राएं कीं और उन्हें प्रधानमंत्री तक कह दिया, लेकिन राहुल गांधी ने कभी यह स्पष्ट नहीं किया कि बिहार में महागठबंधन का असली नेता कौन है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी इस मुद्दे को लेकर बेहद चिंतित हैं। उनका चेहरा लटका हुआ है, क्योंकि वे यह समझ नहीं पा रहे कि क्या उन्हें महागठबंधन में नेता माना जा रहा है।
भाजपा नेता ने कहा कि तेजस्वी यादव भले ही बिहार में विपक्ष का चेहरा बनने का प्रयास कर रहे हों, लेकिन महागठबंधन के भीतर एकजुटता की कमी है। उनके सहयोगी दलों ने भी उन्हें खुलकर अपना नेता नहीं माना है।
त्रिवेदी ने यह भी कहा कि लालू प्रसाद यादव, जो कभी अपने को गरीबों का नेता मानते थे, अब अपने परिवार में नेतृत्व को लेकर उलझे हुए हैं। उनके सामने यह दुविधा है कि किस बेटे या बेटी का नेता बनें। बिहार की जनता सब देख रही है कि कौन सत्ता के लिए लड़ रहा है और कौन जनसेवा के लिए।
उन्होंने यह भी कहा कि इसके विपरीत, एनडीए एकजुट और मजबूत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने विकास की नई दिशा देखी है। केंद्र और राज्य दोनों की सरकारें जनता के विश्वास पर खरी उतरी हैं।
पीएम मोदी के सत्ता में 25 साल पूरे होने पर सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि 7 अक्टूबर भारतीय राजनीति के लिए ऐतिहासिक दिन है। ठीक आज ही के दिन 2001 में नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने लगातार जनता की सेवा, सुशासन और विकास के नए मानक स्थापित किए हैं। पहले गुजरात में उन्होंने विकास का जो मॉडल दिया, उसे दुनिया ने सराहा। फिर, प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत को आर्थिक, कूटनीतिक और सामरिक दृष्टि से नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।