क्या भाजपा की कार्रवाई ने आरके सिंह समेत तीन नेताओं को पार्टी से निकाला?
सारांश
Key Takeaways
- भाजपा ने आरके सिंह को 6 साल के लिए निलंबित किया।
- यह कार्रवाई पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए की गई है।
- आरके सिंह ने चुनाव के दौरान भाजपा के नेताओं के खिलाफ बगावती तेवर दिखाए।
- इस कदम से भाजपा की आंतरिक स्थिति पर सवाल उठते हैं।
- आरके सिंह ने बिहार सरकार और नीतीश कुमार के खिलाफ भी अपनी आवाज उठाई है।
पटना, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव में सफलता हासिल करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह सहित तीन नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। यह कदम पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उठाया गया।
भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित करने का निर्णय लिया है। कटिहार की मेयर ऊषा अग्रवाल और एमएलसी अशोक अग्रवाल के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की गई है।
भाजपा ने अपने आधिकारिक आदेश में कहा कि, "आपकी गतिविधियां पार्टी के खिलाफ हैं। यह अनुशासन के उल्लंघन के अंतर्गत आता है। हमें यह गंभीरता से लेना पड़ा है। इससे पार्टी को हानि हुई है। अतः आपको पार्टी से निलंबित किया जा रहा है। आपको एक सप्ताह के अंदर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।"
बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद यह बागी नेताओं के खिलाफ भाजपा की पहली कार्रवाई है।
आरके सिंह ने चुनाव के दौरान कई मौकों पर भाजपा के नेताओं के खिलाफ बगावती तेवर दिखाए और उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे। उन्होंने एनडीए के प्रमुख नेताओं के खिलाफ जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर के आरोपों का समर्थन भी किया।
सितंबर में एक सभा के दौरान आरके सिंह ने कहा था, "मैं बिहार का गृह सचिव रह चुका हूं। मेरे पास सबका हिसाब है। अगर कोई गलत करेगा, तो मैं सबकी पोल खोल दूंगा। बिहार के लोग भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ भी कई बार अपनी आवाज उठाई है। उन्होंने विशेष रूप से बिहार में शराबबंदी को समाप्त करने की भी वकालत की है।