क्या बिहार में चुनाव नहीं लड़ेगी हमारी पार्टी और एनडीए का करेगी समर्थन?

सारांश
Key Takeaways
- रामदास आठवले ने बिहार चुनाव में भाग न लेने की घोषणा की।
- उन्होंने एनडीए का समर्थन करने की बात कही।
- महाराष्ट्र में स्थानीय चुनाव में पार्टी एनडीए को समर्थन देगी।
- मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने की घटना की निंदा की।
- संविधान की रक्षा करना सभी नागरिकों का कर्तव्य है।
पणजी, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के अध्यक्ष और सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने गुरुवार को गोवा में पर्पल फेस्टिवल के दौरान मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी बिहार चुनाव नहीं लड़ेगी और भाजपा नीत राजग का समर्थन करेगी।
उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में महाराष्ट्र में होने वाले स्थानिक स्वराज्य संस्था के चुनाव में मेरी पार्टी एनडीए को समर्थन देगी और उद्धव ठाकरे को सत्ता से हटाने का प्रयास करेगी।
उन्होंने उल्लेख किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में राज ठाकरे एनडीए के साथ थे, जिससे हमें बड़ा नुकसान हुआ। लेकिन विधानसभा चुनाव में उन्होंने हमारा साथ छोड़ दिया, जिसके कारण हम महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रहे।
उनका कहना था कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने से महाविकास आघाड़ी में हलचल है। उन्होंने कहा कि राज ठाकरे केवल बड़ी बातें करते हैं, लेकिन उन्हें चुनाव में जीत नहीं मिलती।
देश के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की घटना पर उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस दलित समाज से हैं, इसीलिए सवर्ण वकील ने उनका अपमान किया।
उन्होंने कहा कि यह घटना निंदनीय, शर्मनाक और लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरनाक संकेत है। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने हमें जो संविधान दिया है, उसमें हर नागरिक को न्याय की उम्मीद रखने का अधिकार है, लेकिन कोर्ट जैसी गरिमामय जगह पर हिंसा या अपमानजनक आचरण की इजाजत नहीं दी जा सकती। न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति पर इस प्रकार का व्यवहार केवल व्यक्ति विशेष पर नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र पर हमला है।
उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश गवई का शांत रहना और कहना कि “यह मुझ पर असर नहीं करता,” उनके भीतर की दृढ़ता और न्यायिक मर्यादा को दर्शाता है। मैं एक केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी का नेता होने के नाते यह कहना चाहता हूं कि संविधान की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है। ऐसे कृत्य करने वालों को सख्त संदेश देना जरूरी है कि लोकतंत्र में विरोध की भी सीमाएं होती हैं। हमें मिलकर न्यायपालिका का सम्मान करना चाहिए।