क्या केसीसी फिश टैंक घोटाला मामले में आईडीबीआई को 56 करोड़ की संपत्ति वापस हुई?

सारांश
Key Takeaways
- आईडीबीआई बैंक को 56.13 करोड़ रुपए की संपत्ति बहाल की गई।
- यह मामला किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से संबंधित है।
- जांच में रेब्बा सत्यनारायण और कुमार पप्पू सिंह जैसे आरोपियों का नाम आया।
- ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत कार्रवाई की।
- इस धोखाधड़ी से 234.23 करोड़ रुपए की अवैध आय हुई।
विशाखापत्तनम, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय, विशाखापत्तनम उप-क्षेत्रीय कार्यालय ने किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) फिश टैंक मामले में आईडीबीआई बैंक को 56.13 करोड़ रुपए की संपत्ति वापस कर दी है।
ईडी ने बताया कि उसने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए), 2022 के तहत 56.13 करोड़ रुपए की संपत्तियों को आईडीबीआई बैंक को लौटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है।
ये संपत्तियां दो मामलों में जब्त की गई थीं, जो किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत मछली पालन के लिए तालाब/टैंक बनाने के लिए दिए गए ऋणों में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी से संबंधित थीं। जब्त की गई संपत्तियों में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 155 जमीन के टुकड़े, आवासीय/वाणिज्यिक प्लॉट और अपार्टमेंट शामिल हैं।
ये ऋण आंध्र प्रदेश में आईडीबीआई बैंक की भिमावरम और पलांगी शाखाओं में दिए गए थे। ईडी ने सीबीआई, विशाखापट्टनम द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर रेब्बा सत्यनारायण, कुमार पप्पू सिंह, बैंक अधिकारियों और अन्य के खिलाफ जांच शुरू की थी। इन लोगों ने केसीसी फिश टैंक ऋणों में धोखाधड़ी कर आईडीबीआई बैंक को नुकसान पहुंचाया था।
जांच में पता चला कि रेब्बा सत्यनारायण और कुमार पप्पू सिंह ने 2010-11 और 2011-12 में 230 उधारकर्ताओं के नाम पर 181.87 करोड़ रुपए के केसीसी ऋण लिए। ये ऋण फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके उनके परिवार, कर्मचारियों और दोस्तों के नाम पर लिए गए। उन्होंने अपनी और अपने परिवार की संपत्तियों को गारंटी के रूप में गिरवी रखा और कर्मचारियों/दोस्तों के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों का भी इस्तेमाल किया।
जांच में पता चला कि रेब्बा सत्यनारायण और कुमार पप्पू सिंह ने 2010-11 और 2011-12 में 230 उधारकर्ताओं के नाम पर 181.87 करोड़ रुपए के केसीसी ऋण लिए। ये ऋण फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके उनके परिवार, कर्मचारियों और दोस्तों के नाम पर लिए गए। उन्होंने अपनी और अपने परिवार की संपत्तियों को गारंटी के रूप में गिरवी रखा और कर्मचारियों/दोस्तों के नाम पर खरीदी गई संपत्तियों का भी इस्तेमाल किया।
इन ऋणों का पैसा दूसरी जगहों पर लगाया गया, जैसे संपत्ति खरीदने और निवेश में। कुल मिलाकर, इस धोखाधड़ी से 234.23 करोड़ रुपए की अवैध आय हुई, जिसमें से 84.93 करोड़ रुपए की संपत्तियां ईडी ने जांच के दौरान जब्त की थीं।
ईडी ने इन मामलों में विशाखापट्टनम के विशेष पीएमएलए कोर्ट में अभियोजन शिकायतें दायर कीं, जिन्हें कोर्ट ने स्वीकार कर लिया।
आईडीबीआई बैंक ने पीएमएलए की धारा 8(8) के तहत संपत्ति वापसी के लिए आवेदन दिया, और ईडी ने इन संपत्तियों को बैंक को लौटाने की सहमति दी। 15 और 18 सितंबर को कोर्ट ने इन आवेदनों को मंजूरी दी, जिसके बाद इन संपत्तियों को आईडीबीआई बैंक को वापस करने का रास्ता साफ हुआ।