क्या बिहार में 6 अक्टूबर को सीट शेयरिंग पर तेजस्वी यादव और झामुमो की बैठक होगी?

सारांश
Key Takeaways
- बिहार विधानसभा चुनाव के लिए जेएमएम और आरजेडी के बीच महत्वपूर्ण बैठक।
- सीट बंटवारे पर चर्चा की जाएगी।
- महागठबंधन को मजबूत करने का प्रयास।
- आदिवासी समुदाय की भागीदारी पर जोर।
- राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की संभावना।
रांची, 5 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच सीट बंटवारे की बातचीत काफी तेज हो गई है। इस संबंध में, 6 अक्टूबर को बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और जेएमएम नेताओं के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया जाएगा।
जेएमएम के प्रमुख हेमंत सोरेन ने इस बातचीत के लिए अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी सुदिव्य कुमार सोनू और पार्टी के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय को अधिकृत किया है।
हाल ही में, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पटना में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार रैली’ में शामिल हुए थे, जहाँ उनकी मुलाकात आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से भी हुई थी। तब सीट बंटवारे पर औपचारिक चर्चा नहीं हुई थी, लेकिन नेताओं ने गठबंधन के प्रति एकजुटता दिखाई थी।
जेएमएम बिहार के सीमावर्ती जिलों में अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत मानता है और महागठबंधन से लगभग 12 विधानसभा सीटों की मांग करने के लिए तैयार है। इनमें तारापुर, कटोरिया, मनिहारी, झाझा, बांका, ठाकुरगंज, रूपौली, रामपुर, बनमनखी, जमालपुर, पीरपैंती, और चकाई जैसी सीटें शामिल हैं।
जेएमएम का कहना है कि झारखंड में गठबंधन मॉडल से बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं, इसलिए बिहार में भी समान प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। पार्टी के महासचिव विनोद पांडेय ने कहा, "सीमावर्ती जिलों में हमारा मजबूत जनाधार है, इसलिए हम गठबंधन में सम्मानजनक हिस्सेदारी की उम्मीद कर रहे हैं।"
बिहार के जेएमएम कार्यकर्ताओं ने हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर बिहार में अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग की थी। ज्ञातव्य है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के हाल में हुए महाधिवेशन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर ओडिशा, बिहार और देश के दूसरे राज्यों में संगठन के विस्तार का संकल्प लिया गया था।
झारखंड मुक्ति मोर्चा इससे पहले भी बिहार विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारता रहा है। 2010 में चकाई विधानसभा सीट पर झामुमो के उम्मीदवार ने जीत हासिल की थी। पार्टी का मानना है कि इन क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। इन इलाकों में उसकी आदिवासी हितों की नीतियां और झारखंड में किए गए कार्य मतदाताओं को आकर्षित कर सकते हैं।