क्या बिहार में महागठबंधन की हार लोकतंत्र पर डकैती का संकेत है?
सारांश
Key Takeaways
- महागठबंधन की हार के कई कारण हैं।
- आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है।
- लोकतंत्र पर डकैती का आरोप।
- बिहार में बुनियादी सुविधाएं की कमी।
- नीतीश कुमार का भाजपा के दबाव में काम करने का संभव खतरा.
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा है कि बिहार में महागठबंधन की हार के पीछे कई कारण हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि लोकतंत्र पर डकैती हुई और इसे खरीदा गया। उनका कहना है कि बिहार सरकार ने आचार संहिता का उल्लंघन किया है। महिलाओं के खाते में दस-दस हजार रुपए भेजना आचार संहिता का उल्लंघन है और यह एक दंडनीय कार्य है।
अवधेश प्रसाद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि हमने भी सरकार में 6 बार काम किया है। आचार संहिता लागू होने के बाद कोई भी मंत्री न तो कोई घोषणा कर सकता है और न ही शिलान्यास या उद्घाटन कर सकता है। उत्तर प्रदेश में हमने हमेशा आचार संहिता का पालन किया है, लेकिन बिहार सरकार ने इसका पालन नहीं किया।
उन्होंने कहा कि यह दुखद है कि चुनाव आयोग ने इस मामले का संज्ञान नहीं लिया। अन्य प्रदेशों में चुनाव के दौरान उन सरकारों को रोका गया, जो भाजपा की नहीं हैं। उन्होंने बड़ी संख्या में वोटरों के नाम काटने का आरोप भी लगाया। उनका कहना है कि बिहार की जनता तेजस्वी को चाहती थी और बदलाव की बयार थी। अखिलेश यादव भी वहां गए थे। मैंने खुद वहां जाकर देखा, वहाँ बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं।
अवधेश प्रसाद ने कहा कि पार्टी ने मुझे स्टार प्रचारक बनाया था। मैं कई दिन वहां था। अनुसूचित जाति के लोगों की स्थिति बेहद दयनीय है। शौचालय, मकान और घरों तक जाने के रास्ते नहीं हैं। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, लेकिन इन लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि नीतीश कुमार भाजपा के दबाव में नहीं आएंगे और लोक कल्याण के सपने को साकार करेंगे। वे दलितों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ मदद करेंगे और बाबा साहेब के वेलफेयर की कल्पना को साकार करेंगे।