क्या बिहार एसआईआर को लेकर इंडी गठबंधन ने संसद में प्रदर्शन किया?

सारांश
Key Takeaways
- इंडी गठबंधन ने बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
- चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए गए।
- 60 लाख से अधिक वोटरों को लिस्ट से हटाने का आरोप।
- प्रदर्शन में कई वरिष्ठ विपक्षी नेता शामिल हुए।
- लोकतंत्र की पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता।
नई दिल्ली, 25 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में चल रही वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के अंतर्गत नाम हटाने और अनियमितताओं के विरुद्ध इंडी गठबंधन के सांसदों ने शुक्रवार को संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी, राजद सांसद मनोज झा और टीएमसी सांसद सुष्मिता देव जैसे कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
प्रदर्शन के उपरांत, राजद सांसद मनोज झा ने चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा करते हुए तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि आज हम महात्मा गांधी के पास गए हैं। कोई भी व्यक्ति किसी बुजुर्ग के पास तब जाता है जब लोकतंत्र संकट में होता है। आज का लोकतंत्र वास्तव में संकट में है। हम चुनाव आयोग से एक बार फिर कहेंगे कि किसी के इशारे पर काम करना बंद करें। बांग्लादेश का चुनाव आयोग आपका आदर्श नहीं हो सकता।
टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने भी एसआईआर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिहार में एसआईआर प्रक्रिया के तहत 60 लाख से ज्यादा वोटरों को लिस्ट से हटा दिया गया है। यह लोकतंत्र की सीधी हत्या है। यह कैसे संभव है कि एक राज्य में 65 लाख फर्जी वोटर हों? इसमें दस्तावेज़ीकरण की गंभीर खामियां हैं। असम में हमने एनआरसी के लिए छह साल के दस्तावेज दिखाए, लेकिन आज तक एनआरसी पूरा नहीं हुआ। ऐसे में एसआईआर इतनी तेजी से कैसे हो सकता है? यह प्रक्रिया संदेह के घेरे में है।
कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने जमीनी सच्चाई को उजागर करते हुए बताया कि सरकार और चुनाव आयोग के दावों में बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा कि सरकार का दावा है कि 97 प्रतिशत वेरिफिकेशन हो चुका है, लेकिन सच्चाई यह है कि सिर्फ 25 प्रतिशत लोगों का ही फॉर्म सबमिट हुआ है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग खुद वेबसाइट पर फॉर्म चेक नहीं कर सकते; उन्हें बीएलओ के पास जाना पड़ता है। ऐसे में जब 75 प्रतिशत लोगों के फॉर्म ही सबमिट नहीं हुए, तो हम कैसे मान लें कि पूरा वेरिफिकेशन पूरा हो चुका है?
रंजीत रंजन ने आरोप लगाया कि भाजपा ने पहले से यह तय कर लिया है कि किसका नाम वोटर लिस्ट में रहना है और किसका हटना है। उन्होंने आगे कहा कि 1 सितंबर तक का समय दिया गया है, लेकिन ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि उनका वोट बचा है या नहीं। गरीब और जागरूकता से वंचित तबके को इस प्रक्रिया में पूरी तरह नज़रअंदाज़ किया गया है।