क्या बिहार की मुख्यमंत्री निशक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना से लाभार्थी बन रहे हैं आत्मनिर्भर?

सारांश
Key Takeaways
- दिव्यांगों के लिए यह योजना आर्थिक सहायता प्रदान करती है।
- लाभार्थियों को एक लाख रुपए का फिक्स डिपॉजिट मिलता है।
- यह योजना सामाजिक पुनर्वास का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
- इसका उद्देश्य दिव्यांगों को रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
- यह योजना विभिन्न राज्यों में लागू है।
शेखपुरा, 6 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सरकार गरीब दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही है। इनमें से एक है बिहार की मुख्यमंत्री निशक्तजन विवाह प्रोत्साहन योजना, जो दिव्यांगजनों के लिए एक वरदान साबित हो रही है।
इस योजना का लाभ उठाकर लाभार्थी आत्मनिर्भर बन रहे हैं और सरकार से मिली अनुदान राशि का उपयोग अपने आप को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कर रहे हैं।
बिहार के शेखपुरा में मुख्यमंत्री निशक्तता विवाह प्रोत्साहन योजना के तहत दिव्यांग रुदल पासवान और ज्योति कुमारी को प्रोत्साहन राशि दी गई। इस राशि से वे अपने कारोबार को बढ़ाएंगे और आर्थिक रूप से सशक्त बनेंगे।
सामाजिक सुरक्षा कोषांग की स्वेता कौर ने राष्ट्र प्रेस से खास बातचीत में बताया कि योजना के अंतर्गत शनिवार को प्रभारी मंत्री ने लाभार्थियों को एक लाख रुपए का चेक दिया।
योजना के अंतर्गत 40 प्रतिशत से अधिक निशक्तता वाले लाभार्थियों को अगर विवाह करते हैं तो उन्हें एक लाख रुपए का फिक्स डिपॉजिट (सावधि जमा पत्र) का लाभ दिया जाता है। इसकी परिपक्वता अवधि तीन साल होती है। इसके बाद लाभार्थी इन पैसों को निकाल सकते हैं।
रुदल पासवान ने राष्ट्र प्रेस से कहा कि इस प्रोत्साहन राशि से हम दोनों पति-पत्नी मिलकर रोजगार करेंगे। पहले से हम एक टूटी-फूटी दुकान चला रहे थे, जिससे जीवनयापन के लिए पर्याप्त पैसा नहीं मिल पाता था। अब इस राशि से हम एक अच्छी दुकान खोलकर रोजगार बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि गरीब दिव्यांग के लिए यह प्रोत्साहन राशि मिलना एक बड़ी सौभाग्य की बात है। उन्होंने इस राशि के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया।
वहीं, ज्योति कुमारी ने कहा कि उनके पति भी दिव्यांग हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत उन्हें एक लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि मिली है। इन पैसों से वे किराने की दुकान का विस्तार करेंगी।
मुख्यमंत्री निशक्तता विवाह प्रोत्साहन योजना के माध्यम से रोजगार नहीं, बल्कि विवाह के लिए वित्तीय सहायता मिलती है, जिससे दिव्यांगों का सामाजिक पुनर्वास किया जा सके।
यह योजना मध्य प्रदेश, बिहार सहित कई राज्यों में लागू है, जहां पति या पत्नी के दिव्यांग होने पर एक लाख रुपए की राशि प्रदान की जाती है। इस राशि का उपयोग गृहस्थी स्थापित करने या अन्य खर्चों के लिए किया जा सकता है, जो परोक्ष रूप से उनके जीवनयापन और भविष्य में रोजगार के अवसरों में मदद कर सकता है।