क्या बिहार में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों को मिली टूल किट से आर्थिक स्थिति मजबूत होगी?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से लाभार्थियों को टूल किट मिली है।
- लाभार्थियों ने प्रशिक्षण के दौरान आर्थिक सहायता प्राप्त की।
- इस योजना से रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं।
- लाभार्थियों की आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद है।
- प्रधानमंत्री ने गरीबों के कल्याण का संकल्प लिया है।
गयाजी, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के खास मौके पर, बिहार के गयाजी में बुधवार को प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री जीतन राम मांझी ने लाभार्थियों को टूल किट और चेक वितरित किए।
लाभार्थियों ने विभाग की ओर से कई स्टॉल लगाए थे, जिनका केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बारीकी से निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने सभी कारीगरों का हालचाल जाना और उनके काम करने के फायदे और नुकसान के बारे में चर्चा की। केंद्रीय मंत्री ने महाबोधि संस्कृति केंद्र में लाभार्थियों को टूलकिट और चेक भी दिए।
गयाजी के लाभार्थी सत्येंद्र कुमार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि पहले वह पढ़ाई कर रहे थे। उन्हें पीएम विश्वकर्मा योजना की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से मिली। रजिस्ट्रेशन के बाद उन्हें ट्रेनिंग के लिए चुना गया। 10 दिन के प्रशिक्षण के दौरान उन्हें रहने और खाने की सुविधा और आने-जाने का खर्च भी दिया गया। इसके बाद उन्हें एक लाख रुपए के लोन की स्वीकृति मिली। अब वह अपने रोजगार को आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
उन्होंने बताया कि वह राजमिस्त्री का काम करते हैं और उन्हें 15 हजार रुपए की टूल किट मिली है। इससे वह अपने व्यवसाय को और आगे बढ़ाएंगे। इस किट की बाजार में कीमत 20 हजार रुपए है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया कि जिस तरह से विश्वकर्मा भगवान ने अपने हाथों से रचना की है, उसी प्रकार नरेंद्र मोदी ने भी विश्वकर्मा योजना लाकर गरीबों का कल्याण करने का प्रयास किया है।
एक अन्य लाभार्थी रूपेश कुमार ने पीएम मोदी के 75वें जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनाएं दी और बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया और समाचार के माध्यम से इस योजना के तहत आवेदन की जानकारी प्राप्त की। इसके बाद आवेदन करने पर उन्हें आठ दिन का प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें केंद्र तक आने-जाने का खर्च भी दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान उनके खाते में करीब सात हजार रुपए आए थे। आज उन्हें सरकार की ओर से टूलकिट मिली है, जिससे अब उनके पास कारीगरी में जरूरी सामान उपलब्ध होगा। इससे उनका काम तेजी से होगा और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।