क्या बीजद ने उपराष्ट्रपति चुनाव में दूरी बनाकर ओडिशा के हित को प्राथमिकता दी? : संजय दास बर्मा

Click to start listening
क्या बीजद ने उपराष्ट्रपति चुनाव में दूरी बनाकर ओडिशा के हित को प्राथमिकता दी? : संजय दास बर्मा

सारांश

बीजद नेता संजय दास बर्मा ने उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने के फैसले की जानकारी दी। उन्होंने इसे ओडिशा के हितों को प्राथमिकता देने की दिशा में एक कदम बताया। कांग्रेस की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने बीजद की राजनीतिक स्थिति पर जोर दिया। इस निर्णय के पीछे के कारणों और इसके प्रभाव को जानें।

Key Takeaways

  • बीजद का उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहना ओडिशा के हितों की प्राथमिकता है।
  • संजय दास बर्मा ने कांग्रेस की आलोचना का जवाब दिया।
  • यह निर्णय ओडिशा के लोगों की भावनाओं को दर्शाता है।
  • बीजद ने हमेशा राज्य के हित को राजनीतिक हितों से ऊपर रखा है।
  • कांग्रेस के पास बीजद के निर्णयों पर सवाल उठाने का नैतिक आधार नहीं है।

भुवनेश्वर, ८ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। वरिष्ठ बीजद नेता संजय दास बर्मा ने सोमवार को स्पष्ट किया कि आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूरी बनाने का निर्णय पार्टी ने बीजद अध्यक्ष और ओडिशा विधानसभा में विपक्ष के नेता नवीन पटनायक के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद लिया है।

उन्होंने कहा कि इस कदम का उद्देश्य ओडिशा के हितों को राजनीतिक लाभों से उपर रखते हुए इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों से "समान दूरी" बनाना है।

दास बर्मा ने कहा, "यह निर्णय ओडिशा के लोगों की भावनाओं को दर्शाता है। बीजद ने हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर राज्य के हित को प्राथमिकता दी है और यह रुख एक बार फिर उस प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।"

कांग्रेस की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए दास बर्मा ने पार्टी की टिप्पणियों को "निराधार" बताया। उन्होंने कांग्रेस को ओडिशा में उसके लंबे शासन और जनता द्वारा उसे नकारे जाने की याद दिलाई।

उन्होंने कहा, "कांग्रेस के पास बीजद के निर्णयों पर सवाल उठाने का कोई नैतिक आधार नहीं है। नवीन पटनायक ने हमेशा ओडिशा के व्यापक हित में सही रुख अपनाया है।"

वहीं ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने के बीजद के फैसले की कड़ी आलोचना की है।

दास ने कहा कि यह फैसला प्रत्याशित और बेहद निराशाजनक है, क्योंकि बीजद एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति में स्पष्ट रुख अपनाने में विफल रही। बीजद एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी होने का दावा करती है, लेकिन इतिहास गवाह है कि उसने हमेशा दूरी बनाए रखने के बहाने भाजपा को समर्थन दिया है। बीजद के रुख से संदेह पैदा होता है कि क्या पार्टी दबाव में काम कर रही है? अगर बीजद सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के डर से चुप रहती है तो ओडिशा की जनता के सामने उसकी विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी।

Point of View

बीजद का यह निर्णय निश्चित रूप से ओडिशा के हितों को प्राथमिकता देने का संकेत है। परंतु, इस कदम के पीछे के राजनीतिक कारणों को भी समझना आवश्यक है। क्या यह निर्णय केवल चुनावी लाभ के लिए है? हमें इसे व्यापक दृष्टिकोण से देखना चाहिए।
NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

बीजद का उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने का क्या कारण है?
बीजद ने ओडिशा के हितों को राजनीतिक हितों से ऊपर रखते हुए मतदान से दूर रहने का निर्णय लिया है।
संजय दास बर्मा ने कांग्रेस की आलोचना पर क्या कहा?
उन्होंने कांग्रेस की टिप्पणियों को निराधार बताया और ओडिशा में उनके लंबे शासन को याद दिलाया।
क्या बीजद ने हमेशा ओडिशा के हित को प्राथमिकता दी है?
हां, संजय दास बर्मा के अनुसार, बीजद ने हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर राज्य के हित को प्राथमिकता दी है।