क्या भाजपा और आरएसएस चुनाव आयोग के साथ मिलकर लोकतंत्र का मजाक बना रहे हैं? : सुरेंद्र राजपूत
सारांश
Key Takeaways
- लोकतंत्र की प्रक्रिया में हस्तक्षेप का आरोप
- भाजपा और आरएसएस पर गंभीर आरोप
- मतदाता जागरूकता का महत्व
- 'वंदे मातरम' का सांस्कृतिक महत्व
- चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
लखनऊ, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में सभी राजनीतिक दल अब दूसरे चरण के चुनाव के लिए युद्ध स्तर पर प्रचार गतिविधियों में जुट गए हैं। इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने आरोप लगाया कि भाजपा, आरएसएस और उनका पूरा तंत्र चुनाव आयोग के साथ मिलकर लोकतंत्र का मजाक बना रहे हैं।
उन्होंने कहा, "वे लोकतंत्र को एक ऐसा सिस्टम बनाने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें बल, रस्म और धांधली का प्रमुख स्थान है।" राजपूत ने यह भी कहा कि भाजपा और चुनाव आयोग ब्राजील से मतदाता आयात कर रहे हैं और मतदाता सूची तैयार कर रहे हैं। यह लोकतंत्र और संविधान के लिए एक गंभीर खतरा है।
सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि ऐसी गतिविधियाँ न केवल चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं, बल्कि जनता के विश्वास को भी कम करती हैं।
'वंदे मातरम' के 150वीं वर्षगांठ के मेगा अभियान पर सुरेंद्र राजपूत ने कहा, "पिछले 150 वर्षों से कांग्रेस नेतृत्व में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी ने 'वंदे मातरम' गाया, जबकि भाजपा के नेता ब्रिटिशों की पूजा करते थे। आरएसएस, जनसंघ और हिंदू महासभा सभी ब्रिटिश सेना में भर्ती थे और उन्हें 60 रुपए पेंशन मिलती थी, लेकिन भारत के आम लोग (हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई) सभी ने मिलकर 'वंदे मातरम्' गाया।"
उन्होंने आगे कहा कि इस गीत का असली महत्व भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और सभी धर्मों के लोगों के सामूहिक प्रयासों में है, न कि किसी राजनीतिक पार्टी के प्रचार में।
सुरेंद्र राजपूत ने बिहार की जनता से अपील की कि वे इस लोकतंत्र के महापर्व में सक्रिय भागीदारी दिखाएं और केवल राजनीतिक दलों के प्रचार से प्रभावित न होकर स्वतंत्र और सचेत मतदान करें। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तभी मजबूत रहेगा जब मतदाता जागरूक और सचेत होंगे।