क्या मध्य प्रदेश सरकार सोयाबीन किसानों को 1300 रुपए प्रति क्विंटल देगी?
सारांश
Key Takeaways
- सरकार ने सोयाबीन किसानों को 1300 रुपए प्रति क्विंटल देने की घोषणा की है।
- मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- भावांतर योजना किसानों को उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने का प्रयास है।
- 13 नवंबर को लाभ वितरण होगा।
- किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अनुसार अब उचित राशि मिलेगी।
भोपाल, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के सोयाबीन किसानों के लिए यह एक सकारात्मक समाचार है। राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य और मॉडल रेट के बीच के अंतर के रूप में किसानों को 1300 रुपए प्रति क्विंटल देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के हित में कार्यरत है और उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
सीएम ने बताया कि 'भावांतर योजना' के अंतर्गत सोयाबीन का प्रति क्विंटल मॉडल रेट 4,000 रुपए से अधिक निर्धारित किया गया है। प्रदेश के अन्नदाताओं को उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का पूरा लाभ दिलाने के लिए सोयाबीन उत्पादक किसानों को अतिरिक्त 1300 रुपए प्रति क्विंटल दिए जाएंगे। आगामी 13 नवंबर को सोयाबीन उत्पादक किसानों को इसका लाभ वितरित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आगे कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में कल्याणकारी योजनाओं और विकासमूलक कार्यक्रमों का कार्यान्वयन करते हुए राज्य सरकार सशक्त भारत और सशक्त मध्य प्रदेश के रास्ते पर आगे बढ़ रही है।
वास्तव में, सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5328 रुपए निर्धारित किया गया है। इसके अतिरिक्त, राज्य की मोहन यादव सरकार ने किसानों को मॉडल रेट और न्यूनतम समर्थन मूल्य के बीच के अंतर की राशि को भावांतर योजना के तहत देने की घोषणा की थी। सोयाबीन की खरीद के दौरान कई स्थानों से शिकायत आई थी कि किसानों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए जो मॉडल रेट आया है उसके आधार पर सरकार ने 1300 प्रति क्विंटल की दर से देने का निर्णय लिया है।
सरकार का यह निर्णय किसानों को बड़ी राहत देने वाला है, क्योंकि किसान लगातार न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर खरीद की मांग कर रहे थे, लेकिन मंडी में उन्हें उसके अनुसार उचित मूल्य नहीं मिल रहा था। भावांतर योजना लागू होने के बावजूद किसानों को 5328 रुपए प्रति क्विंटल नहीं मिल पा रहे थे। अब किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की राशि आसानी से प्राप्त होगी।