क्या झारखंड में ‘वंदे मातरम’ के 150वें वर्षगांठ पर सामूहिक गायन भारतीय गौरव का उद्घोष है?

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क्या झारखंड में ‘वंदे मातरम’ के 150वें वर्षगांठ पर सामूहिक गायन भारतीय गौरव का उद्घोष है?

सारांश

झारखंड में ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूरे होने पर भाजपा ने सामूहिक गान कार्यक्रम आयोजित किया। रांची में मुख्य कार्यक्रम के दौरान नेताओं ने राष्ट्रगीत के महत्व पर प्रकाश डाला। क्या यह गीत वास्तव में भारतीय संस्कृति की पहचान है?

Key Takeaways

  • ‘वंदे मातरम’ का सामूहिक गायन भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।
  • बाबूलाल मरांडी ने भारत माता के प्रतीकों पर प्रकाश डाला।
  • सांस्कृतिक चेतना को जागृत करने का प्रयास किया गया।
  • स्वतंत्रता संग्राम में इस गीत का विशेष महत्व था।
  • कार्यक्रम ने राष्ट्रभाव को बढ़ावा दिया।

रांची, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ की रचना के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर प्रदेश भाजपा ने शुक्रवार को राज्यभर में विभिन्न स्थलों पर सामूहिक गान कार्यक्रम का आयोजन किया। मुख्य कार्यक्रम पार्टी मुख्यालय रांची में हुआ, जबकि धनबाद, देवघर और दुमका सहित अन्य जिलों में भी कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने एक स्वर में ‘वंदे मातरम’ गाकर राष्ट्रगीत के गौरवशाली इतिहास को नमन किया।

प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1875 में जब ‘वंदे मातरम’ लिखा, तब उन्होंने भारत माता को त्रिदेवियों—दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती—के रूप में देखा। उन्होंने कहा, “अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ती भारत माता दुर्गा हैं, समृद्धि लक्ष्मी हैं और ज्ञान-विज्ञान की ज्योति सरस्वती हैं।”

प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष एवं सांसद आदित्य साहू ने कहा कि प्राचीन भारत वह भूमि है जिसने धरती को केवल मिट्टी नहीं, बल्कि मातृभूमि के रूप में पूजनीय माना। इसी भाव से ‘वंदे मातरम’ के स्वर फूटे, जो आज भी देश की आत्मा में गूंजते हैं।

प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह ने कहा कि ‘वंदे मातरम’ कोई गीत नहीं, बल्कि भारत माता की आराधना का जागृत मंत्र है। उन्होंने कहा कि इसी मंत्र से विकसित, आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी भारत का स्वप्न साकार होगा।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद प्रो. यदुनाथ पांडेय ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान असंख्य क्रांतिकारियों ने ‘वंदे मातरम’ गाते हुए फांसी के फंदे को चूमा था। यह गीत उनके लिए प्रेरणा और शक्ति का स्रोत था।

कार्यक्रम में विधायक सी.पी. सिंह, प्रदेश कार्यालय मंत्री हेमंत दास, सह संयोजक मनोज महतो, सीमा सिंह, राजश्री जयंती, शालिनी नायक और अनेक भाजपा पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सैकड़ों की संख्या में उपस्थित लोगों ने एक स्वर में ‘वंदे मातरम’ गाकर वातावरण को राष्ट्रभाव से ओतप्रोत कर दिया। कार्यक्रम की संयोजक प्रदेश मंत्री सुनीता सिंह ने कहा कि ‘वंदे मातरम’ के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक चेतना को फिर से जाग्रत करने का प्रयास किया गया है।

Point of View

बल्कि हमारी मातृभूमि के प्रति हमारी श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। ऐसे आयोजनों से न केवल जन जागरूकता बढ़ती है, बल्कि युवा पीढ़ी में भी राष्ट्रप्रेम की भावना को बढ़ावा मिलता है।
NationPress
07/11/2025

Frequently Asked Questions

‘वंदे मातरम’ का महत्व क्या है?
‘वंदे मातरम’ भारत का राष्ट्रगीत है, जो हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत और एकता का प्रतीक है।
यह कार्यक्रम कब और कहाँ आयोजित किया गया?
यह कार्यक्रम 7 नवंबर को रांची में आयोजित किया गया था।
इस कार्यक्रम में किन-किन नेताओं ने भाग लिया?
कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, सांसद आदित्य साहू और अन्य भाजपा नेता शामिल हुए।
‘वंदे मातरम’ का इतिहास क्या है?
यह गीत बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1875 में लिखा गया था और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रेरणा का स्रोत बना।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य क्या था?
इस कार्यक्रम का उद्देश्य ‘वंदे मातरम’ के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक चेतना को जागृत करना था।