क्या केरल में भाजपा ने आनंद थंपी से अपने संबंधों से किया इनकार?
सारांश
Key Takeaways
- आनंद थंपी की आत्महत्या ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया।
- भाजपा ने उनके पार्टी से संबंधों से इनकार किया।
- विपक्ष ने भाजपा की गुटबाजी पर सवाल उठाए।
- जांच जारी है और पारदर्शिता की मांग की जा रही है।
- यह मामला तिरुवनंतपुरम की राजनीति में तनाव बढ़ा रहा है।
तिरुवनंतपुरम, 16 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। स्थानीय निकाय चुनावों के लिए भाजपा से टिकट न मिलने के कारण आत्महत्या करने वाले आनंद के. थंपी की मृत्यु को लेकर उत्पन्न राजनीतिक विवादों के बीच, केरल भाजपा ने स्पष्ट रूप से कहा है कि आनंद का भाजपा से कोई संबंध नहीं था। पार्टी का दावा है कि वे उद्धव ठाकरे नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के सदस्य थे।
रविवार को तिरुवनंतपुरम में संवाददाताओं से बात करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “आनंद थंपी भाजपा के सदस्य नहीं थे। हमारे पास जानकारी है कि वे शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) में शामिल हुए थे। यह दुखद है कि राजनीतिक विरोधी इस त्रासदी का उपयोग भाजपा पर हमला करने के लिए कर रहे हैं।”
भाजपा के प्रदेश महासचिव एडवोकेट सुरेश ने भी यही स्थिति व्यक्त करते हुए कहा कि आनंद को कभी भी स्थानीय निकाय चुनावों के संभावित उम्मीदवार के रूप में नहीं देखा गया था, क्योंकि उनका संगठन से कोई जुड़ाव नहीं था।
उन्होंने कहा, “आनंद की आत्महत्या की खबर सुनकर बहुत दुख हुआ। लेकिन सच्चाई यह है कि वे भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता नहीं थे। वे न तो हमारे कार्यक्रमों में शामिल होते थे और न ही संगठनात्मक रूप से जुड़े थे। इसी कारण उन्हें उम्मीदवारों की सूची में नहीं रखा गया।”
सुरेश ने जानकारी दी कि पार्टी की आंतरिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि आनंद की राजनीतिक संबद्धता भाजपा से नहीं, बल्कि शिवसेना (यूबीटी) से थी। उन्होंने कहा, “राजनीतिक प्रतिद्वंदी उनकी मृत्यु को भाजपा की छवि के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।”
ज्ञात हो कि जय नगर, तिरुमला के निवासी आनंद के. थंपी ने शनिवार को आत्महत्या कर ली। उनके सुसाइड नोट में यह बताया गया है कि उन्हें भाजपा से टिकट न मिलने के कारण गहरा निराशा महसूस हुआ। इसके बाद से राजनीतिक हलकों में भारी विवाद उत्पन्न हो गया है।
विपक्षी दलों का आरोप है कि भाजपा में चल रही तीखी गुटबाजी और टिकट चयन विवाद ने आनंद को मानसिक दबाव में डाल दिया था। कई स्थानीय नेताओं ने सवाल उठाया कि जब सुसाइड नोट में खुद आनंद ने टिकट न मिलने की बात लिखी है, तब भाजपा उनसे पल्ला क्यों झाड़ रही है।
यह घटना तिरुवनंतपुरम की राजनीति में तनाव बढ़ा रही है, जहां चुनावी तैयारियों और उम्मीदवारों की सूची को लेकर आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं।
जांच जारी है और आनंद के परिवार तथा स्थानीय निवासियों ने उनकी मृत्यु की विस्तृत और पारदर्शी जांच की मांग की है।
भाजपा का कहना है कि बिना किसी तथ्यात्मक आधार के पार्टी को इस विवाद में घसीटना केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है।