क्या भाजपा ने नीतीश कुमार को मजबूरी में मुख्यमंत्री बनाया?
सारांश
Key Takeaways
- नीतीश कुमार का मुख्यमंत्री बनना भाजपा की मजबूरी का परिणाम है।
- गठबंधन की स्थिरता पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
- एसआईआर प्रक्रिया में कई समस्याएँ सामने आई हैं।
- दिल्ली में हुए विस्फोट की गहन जांच की आवश्यकता है।
- आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की जरूरत है।
लखनऊ, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीएम पद की शपथ ली। इस पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्बास हैदर ने यह दावा किया कि भाजपा ने नीतीश कुमार को मजबूरी में मुख्यमंत्री बनाया है।
अब्बास हैदर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "यह लोकतंत्र की सुंदरता है। दो पक्ष अपने मुद्दों को लेकर सरकार के सामने जाते हैं, जिसमें से एक व्यक्ति सरकार बनाता है। अब सवाल यह है कि काठ की हांडी कब तक चढ़ती रहेगी। भाजपा ने नीतीश कुमार को मजबूरी में मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई है, लेकिन यह गठबंधन कब तक बना रहेगा, यह सबसे महत्वपूर्ण सवाल है। इसका उत्तर बिहार और देश की जनता जानना चाहती है।"
उन्होंने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर कहा, "एसआईआर के लिए कई शिकायतें आ रही हैं। कई स्थानों पर बीएलओ अभी तक नहीं पहुंच रहे हैं। कई स्थानों पर न्यूमेरेशन फॉर्म नहीं मिल रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग का स्पष्ट निर्देश है कि प्रति व्यक्ति दो न्यूमेरेशन फॉर्म दिए जाने चाहिए। देश के कई राज्यों में आज भी बीएलओ नहीं पहुंच पा रहे हैं। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग ने जो समय निर्धारित किया है, वह कम है। जनता को और समय दिया जाना चाहिए। यूपी में मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक है और इतने कम समय में एसआईआर का कार्य करना उचित नहीं है। पहले हमने बिहार में देखा कि कई नाम रिपीट हुए और कई नाम छूट गए। यदि इस प्रक्रिया को ईमानदारी से करना है, तो और समय देना चाहिए।"
दिल्ली के लालकिले के पास हुए विस्फोट पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्बास हैदर ने कहा, "यह एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दा है। इसमें अनावश्यक बयानबाजी की कोई आवश्यकता नहीं है। तथ्यों की गहन जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई होनी चाहिए। इस मामले में न्यायसंगत कार्रवाई की जानी चाहिए। देश में आतंकवाद के खिलाफ सभी नागरिक एकजुट हैं। भाजपा ने पहले कहा था कि जब वे नोटबंदी करेंगे तो आतंकवाद की कमर टूट जाएगी, लेकिन फिर उनके द्वारा विरोधाभासी बातें की जाती हैं। केंद्र सरकार को एक श्वेत पत्र के माध्यम से स्पष्ट करना चाहिए कि आज देश में आतंकवाद की स्थिति क्या है।