क्या बीएलओ की समस्याओं और आत्महत्या जैसी घटनाओं पर गंभीर संवाद की आवश्यकता है?
सारांश
Key Takeaways
- बीएलओ की आत्महत्या की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं।
- संसद में इस मुद्दे पर चर्चा आवश्यक है।
- सत्ता और विपक्ष को मिलकर काम करना चाहिए।
लखनऊ, 1 दिसम्बर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया के दौरान बीएलओ द्वारा आत्महत्या की घटनाओं पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान बीएलओ सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर सही तरीके से चर्चा की आवश्यकता पर जोर दिया।
बसपा प्रमुख मायावती ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "संसद का शीतकालीन सत्र आज से आरंभ हो रहा है, और इस बार भी काफी हंगामा होने की उम्मीद जताई जा रही है।"
उन्होंने आगे लिखा, "हमारी पार्टी चाहती है कि संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही शांतिपूर्ण और संविधानिक तरीके से हो। देश और जनहित के आवश्यक मुद्दों, विशेषकर दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण हो रही समस्याओं और मतदाता सूची के एसआईआर से संबंधित परेशानियों पर चर्चा होनी चाहिए। इसके अलावा, बीएलओ की आत्महत्या जैसी दुखद घटनाओं पर भी उचित समाधान निकलने की दिशा में ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।"
उन्होंने कहा कि केवल आरोप-प्रत्यारोप से काम नहीं चलेगा, बल्कि संसद को सुचारू रूप से चलाने के लिए सत्ता और विपक्ष दोनों को राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर गंभीरता से कार्य करना चाहिए।
ज्ञात रहे कि उत्तर प्रदेश में एसआईआर की प्रक्रिया चल रही है, जिस पर विपक्षी दल सरकार और चुनाव आयोग को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच, कुछ बीएलओ ने आत्महत्या कर ली है, जैसे कि यूपी के मुरादाबाद के भोजपुर क्षेत्र में एक बीएलओ ने आत्महत्या की। पुलिस और परिवार को मौके से सुसाइड नोट मिला है। हालाँकि, इस प्रकार की घटनाओं के कई कारण हैं।
--- राष्ट्र प्रेस
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