क्या बॉम्बे हाईकोर्ट ने अनिल पवार की गिरफ्तारी को अवैध करार दिया?

सारांश
Key Takeaways
- गिरफ्तारी अवैध ठहराई गई
- ईडी को फटकार
- कोर्ट का आदेश
- भ्रष्टाचार की जांच का अधिकार एसीबी का है
- न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता
मुंबई, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूर्व वसई-विरार महापालिका आयुक्त अनिल पवार की गिरफ्तारी को अवैध घोषित कर दिया है और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने अनिल पवार को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है।
ईडी द्वारा 13 अगस्त 2025 को की गई यह गिरफ्तारी वसई-विरार भूमि घोटाले से संबंधित थी। यह मामला 2008 से 2010 के बीच बनी 41 अनधिकृत इमारतों की बिक्री से जुड़ा है। इस संदर्भ में स्थानीय पुलिस ने चार एफआईआर दर्ज की थीं, जिनमें कुछ बिल्डरों पर जनता को अनधिकृत फ्लैट बेचने के आरोप लगाए गए थे।
अनिल पवार की पैरवी करते हुए उनके अधिवक्ता डॉ. उज्ज्वलकुमार चौहान (पूर्व आईआरएस) ने कोर्ट में यह तर्क पेश किया कि अनिल पवार के खिलाफ किसी भी प्रकार के आपराधिक आय से जुड़े ठोस सबूत नहीं हैं। डॉ. चौहान ने बताया कि पवार ने वसई-विरार महापालिका आयुक्त का पद 13 जनवरी 2022 को संभाला था, यानी कथित अपराधों के लगभग 15 वर्ष बाद। इस तथ्य के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है कि गिरफ्तारी न तो समयानुकूल थी और न ही किसी ठोस आधार पर की गई थी।
डॉ. चौहान ने यह भी बताया कि ईडी को भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच करने का अधिकार नहीं है। उनके अनुसार, ऐसे मामले पूरी तरह से एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, और इसलिए ईडी की गिरफ्तारी अधिकार क्षेत्र से परे और कानूनी रूप से शून्य है। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि गिरफ्तारी मनमानी और अनुचित थी, क्योंकि इसमें कोई कानूनी आधार नहीं था।
कोर्ट ने इस दलील को गंभीरता से लिया और आदेश दिया कि अनिल पवार को तुरंत रिहा किया जाए। कोर्ट ने ईडी को स्पष्ट संदेश दिया कि अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर और बिना किसी ठोस सबूत के गिरफ्तारी करना कानून के खिलाफ है, और इस प्रकार की कार्रवाइयों से न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता प्रभावित होती है।