क्या बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन ने प्रोजेक्ट अरुणांक के तहत 696 किलोमीटर सड़कें बनाईं?
सारांश
Key Takeaways
- प्रोजेक्ट अरुणांक ने 696 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया है।
- यह परियोजना कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में कार्यरत है।
- बीआरओ ने पर्यावरण अनुकूल तकनीकों का उपयोग किया है।
- यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
- प्रोजेक्ट ने क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा दिया है।
नई दिल्ली, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉर्डर रोड्स ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने प्रोजेक्ट अरुणांक के अंतर्गत पिछले १७ वर्षों में ६९६ किलोमीटर सड़कों और १.१८ किलोमीटर लंबे प्रमुख पुलों का निर्माण और रखरखाव किया है। ये सड़कें और पुल देश के सबसे कठिन भूभागों में से एक में स्थित हैं। शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश के नाहरलागुन में बीआरओ ने प्रोजेक्ट अरुणांक का १८वां स्थापना दिवस मनाया।
बीआरओ के अनुसार, प्रोजेक्ट अरुणांक समर्पण, दृढ़ता और इंजीनियरिंग उत्कृष्टता के १७ वर्षों की गौरवशाली यात्रा का प्रतीक है। २००८ में स्थापित, इस प्रोजेक्ट को अरुणाचल प्रदेश की दुर्गम घाटियों और अग्रिम सीमावर्ती इलाकों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वर्षों की मेहनत के बाद, इसने ६९६.२१ किलोमीटर सड़कें और १.१८१ किलोमीटर पुलों का निर्माण किया है, जिससे इन दुर्गम इलाकों में हर मौसम में आवाजाही संभव हो पाई है।
प्रोजेक्ट की प्रमुख उपलब्धियों में से एक ली–हुरी सड़क का निर्माण है, जिसने कुरुंग कुमेय जिले के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों को जोड़ा। यह मार्ग हापोली–सारली–हुरी (२७८ किमी) का हिस्सा है, जो स्वतंत्रता के बाद पहली बार ब्लैकटॉप किया गया। यह बीआरओ के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि रही है।
प्रोजेक्ट ने पर्यावरण अनुकूल और आधुनिक तकनीकों का सफलतापूर्वक उपयोग किया है, जैसे कि स्टील स्लैग, जियो सेल, जीजीबीएफएस कंक्रीट, गैबियन और स्टील वायर मेष वॉल्स। सड़क सुरक्षा और कनेक्टिविटी जागरूकता बढ़ाने के लिए नाहरलागुन–जोरम टॉप–संग्राम–जीरो–नाहरलागुन मार्ग पर एक मोटरेबल अभियान आयोजित किया गया, जिसने बीआरओ द्वारा निर्मित उच्च गुणवत्ता वाली सड़कों का प्रदर्शन किया।
बीआरओ अपने कैजुअल पेड लेबरर्स के कल्याण को भी सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। इन मजदूरों के लिए बेहतर आवास, साफ पानी, स्वच्छता, और स्वास्थ्य शिविरों की व्यवस्था की गई है।
बीआरओ के अनुसार, जैसे-जैसे प्रोजेक्ट अरुणांक अपने १८वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, यह राष्ट्रीय गौरव, परिचालन तत्परता और विकासात्मक प्रतिबद्धता का प्रतीक बन चुका है।
२२ मार्च २०२३ को इस प्रोजेक्ट की ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में २७८ किलोमीटर लंबे हापोली–सारली–हुरी मार्ग को स्वतंत्रता के बाद पहली बार ब्लैकटॉप किए जाने पर विशेष रूप से सराहा गया था।
बीआरओ के अनुसार, ‘एक पेड़ मां के नाम’ हरित अभियान के तहत अरुणाचल प्रदेश भर में २३,८५० पौधे लगाए गए हैं।