क्या पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के बयानों के बाद भाजपा ने कांग्रेस को घेरा?
सारांश
Key Takeaways
- बीआर गवई के बयान ने राजनीतिक हलचल पैदा की है।
- संविधान की सुरक्षा हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
- सरकार और न्यायपालिका का काम करने का तरीका स्पष्ट है।
नई दिल्ली, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के 'संविधान' और 'न्यायपालिका' से संबंधित बयानों के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया है।
भाजपा सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "बीआर गवई अब रिटायर हो चुके हैं। उनके कार्यालय छोड़ने के बाद उनकी बातें भारत के लोकतंत्र की भावना को प्रकट करती हैं। संविधान को किसी भी स्थिति में नहीं बदला जा सकता, यही हम हमेशा कहते आ रहे हैं।"
विपक्ष पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी और उसके सहयोगियों को यह समझना चाहिए कि संविधान हमारे देश की आत्मा है, और किसी के पास इसे अपने स्वार्थ के लिए बदलने की शक्ति नहीं है।"
भाजपा के सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा, "कुछ लोग अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की वजह से यह आरोप लगाते हैं कि सुप्रीम कोर्ट हर दिन सरकार के दबाव में काम करता है। अब पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के बयान के बाद स्थिति स्पष्ट हो जानी चाहिए। जस्टिस गवई अभी हाल ही में चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हुए हैं। इस संदर्भ में उनका भाषण महत्वपूर्ण है।"
भाजपा प्रवक्ता आरपी सिंह ने अपने बयान में कहा, "यह स्पष्ट है कि संविधान को बदला नहीं जा सकता है और यह सभी के लिए मान्य होता है। गवई की दूसरी बात सही है कि ज्यूडिशियरी या उससे जुड़े किसी भी सिस्टम के काम में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है। डेमोक्रेसी ऐसे ही काम करती है। सरकार अपने दायरे में काम करती है, ज्यूडिशियरी अपने दायरे में काम करती है और ब्यूरोक्रेसी अपने दायरे में काम करती है।"
भाजपा नेता प्रतुल शाह देव ने कहा, "गवई ने स्पष्ट कहा है कि संविधान खतरे में नहीं है। अब राहुल गांधी को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए।"
प्रतुल शाह देव ने आगे कहा, "देश के 200 से अधिक जाने-माने लोगों ने राहुल गांधी की आलोचना की है। उन्होंने एसआईआर और 'वोट चोरी' के मुद्दों पर राहुल गांधी को गलत ठहराया है। कांग्रेस ने पहले भी 42वें संशोधन के जरिए संविधान में बदलाव करने की कोशिश की थी। उन्होंने संविधान को बदलने का प्रयास किया।"
गौरतलब है कि जब विपक्ष लगातार संवैधानिक संस्थानों से सवाल पूछ रहा है और न्यायपालिका पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगा रहा है, इसी बीच पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने कई बातें स्पष्ट की हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि संविधान खतरे में नहीं है। बीआर गवई ने यह भी कहा कि सरकार का ज्यूडिशियरी में कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।