क्या 'हेल्थ टॉनिक' है ब्रह्म मुहूर्त की सैर, शारीरिक-मानसिक समस्याओं की छुट्टी?
सारांश
Key Takeaways
- ब्रह्म मुहूर्त में उठना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
- 20-30 मिनट की सैर मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करती है।
- इस समय प्राण-ऊर्जा अधिक होती है।
- वजन नियंत्रित करने में मददगार।
- तनाव और अवसाद में कमी।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। सर्दियों या गर्मियों में, सुबह देर तक सोने की आलस्य का अनुभव हर किसी को होता है। लेकिन आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों यह मानते हैं कि सूर्योदय से पहले उठना, जिसे ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है, और 20-30 मिनट की सैर करना, पूरे दिन की स्वास्थ्य, खुशी और ऊर्जा के लिए महत्वपूर्ण है।
आयुर्वेद के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त (लगभग सुबह 3:30 से 5:30 बजे के बीच) वह समय है जब वातावरण में प्राण-ऊर्जा अपने उच्चतम स्तर पर होती है। इस समय मन शांत होता है, दिमाग तरोताज़ा रहता है और स्मरण शक्ति और एकाग्रता में वृद्धि होती है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसे 'गोल्डन पीरियड' कहा जाता है, क्योंकि इस समय मेलाटोनिन (नींद का हार्मोन) का स्तर कम और कॉर्टिसोल (ऊर्जा हार्मोन) का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है, जिससे शरीर स्वाभाविक रूप से जागृत और सतर्क होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर और उसी समय सैर करने से कई लाभ होते हैं। याददाश्त, फोकस और क्रिएटिविटी में वृद्धि होती है, और दिमाग तेज होता है। सेरोटोनिन और डोपामाइन का स्तर बढ़ता है, जिससे मूड सकारात्मक बना रहता है।
पाचन तंत्र मजबूत होता है, पूरे दिन भूख सही रहती है, और कब्ज या गैस की समस्याएं नहीं होतीं। सेल्स ऑक्सीजन से भरपूर रिचार्ज होती हैं और इम्यूनिटी बढ़ती है। एनर्जी लेवल उच्च रहता है, जिससे तनाव और अवसाद में कमी आती है।
इसके अलावा, ब्रह्म मुहूर्त की सैर दिलस्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। भूख के हार्मोन संतुलित रहते हैं, जिससे वजन को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। त्वचा पर प्राकृतिक निखार आता है और दाग-धब्बे दूर होते हैं।
कई रिसर्च में यह सिद्ध हुआ है कि जल्दी उठने वालों को डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम और डिप्रेशन का खतरा कम होता है। इस समय, हवा में ऑक्सीजन का स्तर उच्चतम होता है, जिससे फेफड़े पूरी तरह खुलते हैं। शुरुआती धूप से विटामिन डी प्राप्त होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है। आयुर्वेद के अनुसार, वात-पित्त दोष संतुलित होते हैं, जिससे जोड़ों के दर्द और मानसिक तनाव में कमी आती है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर और 20-30 मिनट सुबह की सैर करने की आदत डालने से शरीर की बायोलॉजिकल वॉच पूरी तरह सेट हो जाती है।