क्या बुलंदशहर में स्याना हिंसा मामले में कोर्ट का बड़ा फैसला आया?

सारांश
Key Takeaways
- 5 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा मिली है।
- 33 दोषियों को 7 साल की सजा दी गई है।
- कोर्ट ने मुआवजा देने का आदेश दिया है।
- हिंसा 3 दिसंबर 2018 को भड़की थी।
- यह मामला अपर सत्र न्यायालय में चला था।
बुलंदशहर, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। स्याना हिंसा मामले में सात साल बाद कोर्ट का निर्णय आया है। अपर सत्र न्यायालय-12 (एडीजे-12) के जस्टिस गोपाल की अदालत ने शुक्रवार को स्याना हिंसा में शामिल 38 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सजा का ऐलान किया है।
एडीजी 12 कोर्ट ने इस मामले में पाँच दोषियों को इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि शेष 33 दोषियों को बलवा, जानलेवा हमला (धारा 307), आगजनी और अन्य गंभीर धाराओं में सात साल की सजा दी गई है।
बचाव पक्ष के वकील अशोक डागर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "पाँच दोषियों को आईपीसी धारा 302 के तहत हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा दी गई। अन्य को धारा 307, 436, 332, और 353 के तहत सात साल की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने मृतक सुबोध कुमार की पत्नी को मुआवजा देने का आदेश दिया है।"
विशेष लोक अभियोजक यशपाल सिंह ने इस फैसले पर असंतोष व्यक्त करते हुए हाई कोर्ट में अपील करने का निर्णय लिया। उन्होंने मीडिया से कहा, "स्याना हिंसा मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है। पाँच आरोपियों को उम्रकैद की सजा दी गई है। साथ ही 33 आरोपियों को 7 साल की सजा दी गई है। इस मामले में कोर्ट ने 302 के तहत 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।"
उन्होंने आगे कहा, "मैं इस केस में डिफेंस काउंसिल हूं और करीब 22 लोगों के पक्ष में केस लड़ रहा था। हम पहले इस केस का विश्लेषण करेंगे और उसके बाद कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।"
यह मामला 3 दिसंबर 2018 का है। स्याना के चिंगरावठी गांव में गोवंश अवशेष मिलने की अफवाह के बाद हिंसा भड़क गई थी, जिसमें आक्रोशित भीड़ ने चिंगरावठी पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था। हिंसा के दौरान तत्कालीन स्याना कोतवाली प्रभारी सुबोध कुमार सिंह और युवक सुमित कुमार की हत्या कर दी गई थी।