क्या कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने देश का गौरव बढ़ाया?

सारांश
Key Takeaways
- शुभांशु शुक्ला की यात्रा ने भारत का गौरव बढ़ाया।
- यह यात्रा इसरो की मेहनत का प्रतीक है।
- भारत 2027 में अपना गगनयान भेजने की तैयारी में है।
- धर्म और जाति के आधार पर किसी की योग्यता को नहीं आंकना चाहिए।
- वैज्ञानिक प्रगति में सभी वर्गों का योगदान महत्वपूर्ण है।
मुंबई/उत्तर प्रदेश, 16 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने 18 दिनविजय गिरकर ने कहा कि शुभांशु ने भारत को गर्वित किया है।
विजय गिरकर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि 18 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा के बाद शुभांशु शुक्ला मंगलवार को अमेरिका में सुरक्षित लौटे। जैसे राकेश शर्मा ने कहा था, 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा', वैसे ही शुक्ला ने भी अंतरिक्ष से भारत का गौरव बढ़ाया। इसरो की मेहनत और आत्मविश्वास से भारत 2027 में अपना गगनयान भेजने की तैयारी में है। उनकी इस यात्रा से मिले अनुभव देश के लिए लाभदायक होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित सभी नेताओं ने उनका अभिनंदन किया। यह भारत की एकता, अखंडता और वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक है।
वहीं, मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि शुभांशु शुक्ला एक खुशनसीब इंसान हैं, जो अंतरिक्ष में गए और बखूबी वापस भी आ गए हैं। हमें बेहद खुशी हो रही है कि भारतीय और विज्ञान ने खूब तरक्की की, अब इंसान जमीन की सतह से लेकर आसमान की बुलंदियों तक जा रहा है।
उन्होंने कांग्रेस नेता उदित राज के शुभांशु शुक्ला के चयन को लेकर दिए गए बयान पर कहा कि शुभांशु के मजहब को नहीं देखा जाना चाहिए, यह देखना चाहिए कि वह हमारे देश के नागरिक हैं और एक बेहतरीन इंसान हैं। अगर किसी शख्स के अंदर सोच और समझ है तो वह जरूर अंतरिक्ष जाएगा। इसके लिए धर्म और जाति आड़े नहीं आएगी। मुसलमानों, आदिवासियों, दलितों और ओबीसी को अंतरिक्ष पर नहीं भेजा जा सकता, ऐसी सोच रखना गलत है। इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए।