क्या सीबीआई ने 17 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी के मामले में फरार आरोपी को गोवा से गिरफ्तार किया?
सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने 17 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी के आरोपी को गिरफ्तार किया।
- आरोपी ने पहचान बदलकर गोवा में छिपने की कोशिश की।
- गिरफ्तारी तकनीकी सबूतों के आधार पर हुई।
- यह गिरफ्तारी आर्थिक अपराधों पर अंकुश लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- आरोपी को अदालत में पेश किया जाएगा।
नई दिल्ली, 18 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एक पुरानी बैंक धोखाधड़ी मामले में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। एजेंसी ने पुणे की कंपनी मेसर्स हाउस ऑफ लैपटॉप्स (आई) प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक आशुतोष पंडित को गिरफ्तार किया है, जो कि 17 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में आरोपी था और लंबे समय से फरार चल रहा था। आरोपी अपनी पहचान बदलकर यतिन शर्मा नाम से गोवा में छिपा हुआ था।
यह मामला 2013 का है, जो इंडियन ओवरसीज बैंक की पुणे शाखा से संबंधित है। प्रारंभ में यह केस मुंबई की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग (ईओडब्ल्यू) में दर्ज हुआ था, लेकिन बाद में इसे सीबीआई की पुणे इकाई को सौंप दिया गया, जहां यह मामला चल रहा है। जांच के दौरान 2013 में ही चार्जशीट दाखिल की गई थी, लेकिन आरोपी का पता नहीं चल रहा था। लगातार प्रयासों के बावजूद वह फरार ही रहा। अप्रैल 2018 में सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद उसे अपराधी घोषित कर दिया गया।
सीबीआई की टीम ने एनएटीजीआरआईडी पोर्टल से मिली महत्वपूर्ण जानकारी के आधार पर आरोपी का पता लगाया। पता चला कि आशुतोष पंडित ने अपनी पहचान पूरी तरह बदल ली थी। उसने यतिन शर्मा नाम से नया पैन कार्ड, आधार कार्ड और पासपोर्ट बनवाया था। पहले उसने नई दिल्ली से पासपोर्ट जारी करवाया और बाद में गोवा से नया पासपोर्ट बनवाया। बंबोलिम, गोवा में उसका नया पता मिला।
तकनीकी सबूतों और खुफिया जानकारी के आधार पर सीबीआई ने एक सटीक ऑपरेशन चलाया और आरोपी को उसके नए पते से सफलतापूर्वक गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी बैंक धोखाधड़ी के मामलों में फरार आरोपियों को पकड़ने की सीबीआई की सतर्कता और तकनीकी क्षमता को दर्शाती है। ऐसे मामले जहां आरोपी नकली दस्तावेजों से पहचान छिपाते हैं, जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती होते हैं।
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि इस तरह की गिरफ्तारियां आर्थिक अपराधों पर अंकुश लगाने में मदद करती हैं। बैंक धोखाधड़ी के मामले देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाते हैं और जांच एजेंसियां ऐसे अपराधियों को किसी भी कीमत पर सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आरोपी को अब अदालत में पेश किया जाएगा और मामले की आगे की जांच जारी रहेगी।