क्या बिटुमेन घोटाले में सीबीआई अदालत ने पूर्व इंजीनियर और ट्रांसपोर्टर को सजा सुनाई?

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क्या बिटुमेन घोटाले में सीबीआई अदालत ने पूर्व इंजीनियर और ट्रांसपोर्टर को सजा सुनाई?

सारांश

पटना की विशेष सीबीआई अदालत ने एक पूर्व कार्यकारी अभियंता और ट्रांसपोर्टर को बिटुमेन घोटाले में दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई। यह मामला 1996 का है और इससे बिहार सरकार को बड़ा नुकसान हुआ है। जानें इस घोटाले की पूरी कहानी और अदालत के फैसले के बारे में।

Key Takeaways

  • बिटुमेन घोटाला लगभग तीन दशक पुराना है।
  • सीबीआई अदालत ने दोषियों को सजा सुनाई।
  • इस मामले ने बिहार सरकार को बड़ा नुकसान पहुँचाया।
  • जांच 1996 में शुरू हुई थी।
  • घोटाले में शामिल अन्य अधिकारियों का भी नाम आया।

पटना, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पटना की एक विशेष सीबीआई अदालत ने गुरुवार को एक पूर्व कार्यकारी अभियंता और एक ट्रांसपोर्टर को लगभग तीन दशक पुराने बिटुमेन घोटाले में उनकी भूमिका के लिए दोषी ठहराया और सजा सुनाई। इससे बिहार सरकार को भारी नुकसान हुआ था।

यह मामला मूलरूप से 1996 में दर्ज किया गया था। यह सड़क निर्माण कार्य के लिए निर्धारित थोक बिटुमेन के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग से संबंधित था।

सीबीआई के अनुसार, अदालत ने बिहार शरीफ में सड़क निर्माण प्रभाग (आरसीडी) के तत्कालीन कार्यकारी अभियंता बैकुंठ नाथ शर्मा को एक साल के कठोर कारावास के साथ 35,000 रुपए का जुर्माना भी सुनाया है।

तिरुपति ट्रांसपोर्ट एजेंसी से जुड़े निजी ट्रांसपोर्टर सुरेश कुमार गुप्ता को तीन साल के कठोर कारावास और 1.5 लाख रुपए का जुर्माना सुनाया गया है।

यह मामला शुरू में बांका टाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, जिसे पटना उच्च न्यायालय के निर्देशों पर फरवरी 1997 में सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था।

जांचकर्ताओं ने पाया कि आरसीडी बांका डिवीजन को थोक बिटुमेन पहुंचाने के लिए जिम्मेदार ट्रांसपोर्टर ने आपूर्ति आदेश के अनुसार उठाई गई मात्रा से काफी कम सामग्री की आपूर्ति की थी।

सीबीआई के मुताबिक, उक्त ट्रांसपोर्टर ने आपूर्ति आदेश के अनुसार वास्तविक रूप से उठाई गई मात्रा से कम मात्रा की आपूर्ति की और 14.38 लाख रुपए की लागत से कुल 287.625 मीट्रिक टन (एमटी) थोक बिटुमेन का गबन किया।

सीबीआई ने जांच पूरी करने के बाद फरवरी 2002 में गुप्ता, शर्मा और दो अन्य सरकारी अधिकारियों, बाल्मीकि चौधरी, एक जूनियर इंजीनियर, और रघुनांदन सिंह, एक सहायक इंजीनियर/एसडीओ, के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। इनमें से दोनों की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो गई।

कई वर्षों की कानूनी कार्रवाई के बाद, सीबीआई अदालत ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया, जिसमें बचे हुए आरोपियों को आपराधिक कदाचार और धोखाधड़ी का दोषी ठहराया गया।

बता दें कि अहमदाबाद की एक विशेष सीबीआई अदालत ने मंगलवार को तीन व्यक्तियों को 2011 में ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ओएनजीसी) से लगभग 67 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोप में तीन साल की कैद की सजा सुनाई।

Point of View

बल्कि यह भी दर्शाता है कि न्याय प्रणाली समय के साथ कैसे कार्य करती है। हमें ऐसे मामलों में न केवल कानूनी कार्रवाई की आवश्यकता है, बल्कि समाज में जागरूकता भी बढ़ानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे अपराधों को रोका जा सके।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

बिटुमेन घोटाला क्या है?
यह मामला 1996 में शुरू हुआ था, जिसमें सड़क निर्माण के लिए निर्धारित थोक बिटुमेन का दुरुपयोग किया गया था।
सीबीआई अदालत ने किनको सजा सुनाई?
सीबीआई अदालत ने पूर्व कार्यकारी अभियंता बैकुंठ नाथ शर्मा और ट्रांसपोर्टर सुरेश कुमार गुप्ता को सजा सुनाई।
इस घोटाले में कितना नुकसान हुआ?
इस घोटाले से बिहार सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।
इस मामले की जांच कब शुरू हुई?
इस मामले की जांच 1996 में शुरू हुई और इसे 1997 में सीबीआई को सौंपा गया।
इस मामले में क्या सजा दी गई?
बैकुंठ नाथ शर्मा को एक साल की सजा और 35,000 रुपए का जुर्माना, जबकि सुरेश कुमार गुप्ता को तीन साल की सजा और 1.5 लाख रुपए का जुर्माना दिया गया।
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