क्या सीबीआई ने पुणे और मुंबई में चल रहे अंतरराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने पुणे और मुंबई में एक बड़े साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया।
- गिरोह विदेशी नागरिकों, विशेषकर अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाता था।
- इस गिरोह ने अवैध कॉल सेंटर का संचालन किया था।
- गिरोह की मासिक आय ३-४ करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
- सीबीआई की कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि साइबर अपराधों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
मुंबई, २५ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने पुणे और मुंबई से संचालित साइबर धोखाधड़ी और वित्तीय अपराध गिरोह का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह बड़े पैमाने पर कार्य करते हुए विदेशी नागरिकों, विशेषकर अमेरिकी नागरिकों को गलत नाम, फिशिंग कॉल और वित्तीय धोखाधड़ी के माध्यम से निशाना बनाता था।
सीबीआई ने २४ जुलाई को बैंकों के कर्मचारियों और चार निजी व्यक्तियों के खिलाफ एक सुनियोजित आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने के लिए जनवरी २०२५ से चल रहे एक अवैध कॉल सेंटर को चलाने के आरोप में मामला दर्ज किया।
मामला दर्ज करने के बाद, सीबीआई ने २४-२५ जुलाई को पुणे में आरोपियों द्वारा चलाए जा रहे अवैध कॉल सेंटर सहित आरोपियों या उनसे जुड़े व्यक्तियों के सात स्थानों पर तलाशी ली। साइबर धोखाधड़ी/डिजिटल उपकरणों जैसे २७ मोबाइल फोन और १७ लैपटॉप जैसे विभिन्न आपत्तिजनक सामान पुणे के अवैध कॉल सेंटर में आरोपियों और उनके सहयोगियों के कब्जे से जब्त किए गए हैं।
इन मोबाइल फोन और लैपटॉप की जांच से पता चलता है कि ये आरोपी सिग्नल और व्हाट्सएप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मिलने वाली कॉलर सेवाओं का उपयोग कर रहे थे। इसके अलावा, एक आरोपी के आवास से १.६ लाख रुपए नकद और लगभग १५० ग्राम नशीला पदार्थ जब्त किया गया है। एक अन्य आरोपी के आवास की तलाशी के दौरान ९.६ लाख रुपए नकद बरामद किए गए। तीन निजी आरोपियों को गिरफ्तार कर सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश, मुंबई के समक्ष पेश किया गया और उन्हें ३० जुलाई तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। आगे की जांच जारी है।
यह गिरोह, अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर, अमेरिकी आंतरिक राजस्व सेवा (आईआरएस), अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) और यहां तक कि भारतीय उच्चायोग जैसी एजेंसियों के नकली अधिकारी बनकर अनजान अमेरिकी नागरिकों को ठगी कर रहा है। कानूनी कार्रवाई की धमकी के तहत, पीड़ितों को गिफ्ट कार्ड या बिटकॉइन ट्रांसफर के माध्यम से ५०० से ३००० डॉलर तक की राशि का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया। पुणे स्थित एक गुप्त रूप से संचालित अवैध कॉल सेंटर से नकली वीओआईपी-आधारित कॉल किए जा रहे थे।
अवैध रूप से अर्जित की गई अनुमानित ३-४ करोड़ रुपए मासिक आय को वित्तीय धोखाधड़ी करने के लिए बनाए खातों, क्रिप्टोकरेंसी और हवाला के माध्यम से वैध बनाया जा रहा है। यह भी पता चला है कि इन कार्यों को कुछ अज्ञात सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंक अधिकारियों का समर्थन प्राप्त है, जो जाली केवाईसी दस्तावेजों का उपयोग करके फर्जी खाते खोलने और संचालन में मदद करते हैं। यह आरबीआई और संस्थागत दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हैं।