क्या सीबीआई ने साइबर क्राइम मामले में बैंक मैनेजर को गिरफ्तार किया?
सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई की कार्रवाई ने साइबर अपराध की गंभीरता को उजागर किया।
- बैंकिंग प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है।
- साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
- बैंक कर्मचारियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
- संगठित साइबर अपराध नेटवर्क को समाप्त करना जरूरी है।
नई दिल्ली, 12 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने मुंबई के एक प्राइवेट बैंक के मैनेजर को डिजिटल अरेस्ट साइबर क्राइम मामले में गिरफ्तार किया है। जांच में यह खुलासा हुआ है कि आरोपी बैंक अधिकारी ने साइबर अपराधियों के साथ मिलकर फर्जी (म्यूल) अकाउंट खोलने में सहयोग किया और इसके बदले में गैरकानूनी रिश्वत प्राप्त की थी।
सीबीआई के अनुसार, बैंक मैनेजर ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई संदिग्ध खातों को मंजूरी दी। इन खातों का उपयोग कई साइबर अपराधों, विशेषकर डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड्स में किया गया। इन खातों के माध्यम से अपराधियों ने पीड़ितों से ठगी के पैसे को छिपाने का प्रयास किया।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने बताया कि इस मामले में आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तार बैंक अधिकारी को मुंबई की एक सक्षम अदालत में पेश किया गया, जहां उसे आगे की पूछताछ के लिए सीबीआई की हिरासत में भेज दिया गया।
एजेंसी ने यह भी बताया कि दो साइबर अपराधी, जिन्होंने बैंक मैनेजर को रिश्वत दी थी, उन्हें भी एफआईआर में आरोपी बनाया गया है। सीबीआई पहले ही दोनों अपराधियों को एक चल रही डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध जांच में गिरफ्तार कर चुकी है।
सीबीआई की प्रारंभिक जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि यह कोई अलग-थलग घटना नहीं है, बल्कि एक संगठित साइबर अपराध नेटवर्क का हिस्सा है, जो बैंकिंग प्रणाली का दुरुपयोग कर ठगी के पैसों को छिपाने और घुमाने का कार्य करता है।
एजेंसी ने सभी बैंकों को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि कोई बैंककर्मी, चाहे वह निजी या सहकारी बैंक का हो, जानबूझकर या अनजाने में साइबर अपराध में मदद करता पाया गया, तो उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और न्याय संहिता दोनों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सीबीआई ने यह भी कहा कि वह देशभर में फैले ऐसे नेटवर्क्स को समाप्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।