क्या सीजीपीएससी भर्ती घोटाले में सीबीआई का बड़ा एक्शन है?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई की गिरफ्तारी से घोटाले का पर्दाफाश हुआ।
- भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता का महत्व।
- सरकारी नौकरी के लिए निष्पक्ष चयन की आवश्यकता।
- घोटाले में परिवार के सदस्यों का चयन किया गया।
- न्यायिक हिरासत में आरोपियों का मामला।
रायपुर, 19 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सीजीपीएससी परीक्षा घोटाले के मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक महत्वपूर्ण कार्रवाई की है। इस जांच के तहत सीबीआई ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
सीबीआई ने सीजीपीएससी परीक्षा 2021 और 2020 (छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग का मामला) में उम्मीदवारों के चयन में एक बड़े षड्यंत्र का खुलासा किया है। गिरफ्तार आरोपियों में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (सीजीपीएससी) के पूर्व सचिव जीवन किशोर ध्रुव, परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक, डिप्टी कलेक्टर सुमित ध्रुव (पूर्व सचिव का बेटा), डिप्टी कलेक्टर मिशा कोसले (पूर्व अध्यक्ष का भाई की बहू) और जिला आबकारी अधिकारी दीपा आदिल (पूर्व अध्यक्ष का भाई की बहू) शामिल हैं।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 16 फरवरी 2024 और 10 अप्रैल 2024 के आधार पर 9 जुलाई 2024 को एक मुकदमा दर्ज किया था। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि पूर्व अध्यक्ष, सीजीपीएससी और अन्य व्यक्तियों ने सीजीपीएससी में विभिन्न पदों पर रहकर 2020 से 2022 के बीच परीक्षा और साक्षात्कार आयोजित किए और अपने परिवार के सदस्यों का चयन किया।
साल 2021 के लिए सीजीपीएससी में विभिन्न पदों के लिए कुल 1,29,206 उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुए, जिनमें से 2548 उम्मीदवार सफल हुए। कुल 509 ने मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण की और साक्षात्कार के लिए चयनित हुए। सीजीपीएससी 2021 में विभिन्न पदों के लिए कुल 170 उम्मीदवारों का चयन किया गया।
इस मामले में सीजीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष, उप परीक्षा नियंत्रक, चार चयनित उम्मीदवारों और एक निजी व्यक्ति को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। ये सभी न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई सीजीपीएससी परीक्षा में चयनित अन्य संदिग्ध उम्मीदवारों की भूमिका की जांच कर रही है।