क्या आप जानते हैं चक्रपाणी मंदिर के बारे में, जहां सुदर्शन चक्र की पूजा होती है?
सारांश
Key Takeaways
- चक्रपाणी मंदिर में भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की पूजा होती है।
- यह मंदिर कुंभकोणम, तमिलनाडु में है।
- यहां दर्शन करने से भक्तों को नौ ग्रहों का संतुलन मिलता है।
- भक्त विशेष अनुष्ठान सुदर्शन यज्ञ का आयोजन करते हैं।
- मंदिर की वास्तुकला और इतिहास बहुत खास हैं।
नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के हर मंदिर में 33 कोटि देवी-देवताओं में से किसी न किसी की पूजा की जाती है, लेकिन तमिलनाडु में एक ऐसा अनूठा मंदिर है, जहां भगवान की नहीं, बल्कि उनके अस्त्र की पूजा की जाती है।
यह मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला और समृद्ध इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। हम बात कर रहे हैं भगवान विष्णु को समर्पित चक्रपाणी मंदिर की, जहां भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यह मंदिर धर्म और पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
कुंभकोणम, तमिलनाडु में स्थित यह मंदिर इसीलिए खास है क्योंकि यहां पर धर्म और न्याय के प्रतीक सुदर्शन चक्र की पूजा की जाती है।
मंदिर में भगवान विष्णु की एक उग्र रूप की प्रतिमा है। इस प्रतिमा के पास आठ भुजाएं हैं, और हर भुजा पर एक अस्त्र है। यह विष्णु की पहली प्रतिमा है, जिसमें भगवान विष्णु का तीसरा नेत्र भी दर्शाया गया है। यह तीसरा नेत्र भगवान शिव का प्रतीक है, जिन्होंने भगवान विष्णु को सुदर्शन चक्र दिया था।
कावेरी नदी के किनारे स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब धरती पर असुर राजा जलंधरासुर का अत्याचार बढ़ गया, तब भगवान विष्णु ने जलंधरासुर का वध करने के लिए पाताल लोक से सुदर्शन चक्र को बुलाया और राक्षस का अंत किया। सुदर्शन चक्र की रोशनी सूर्य से भी ज्यादा तेज थी और नदी किनारे स्नान कर रहे भगवान ब्रह्मा ने चक्र की शक्ति को देखा और कावेरी नदी के किनारे मंदिर की स्थापना की।
कहा जाता है कि सुदर्शन चक्र की रोशनी देख सूर्य देव भी अचंभित हो गए थे और उन्होंने चक्र के तेज को कम करने की कोशिश की थी, लेकिन जब चक्र से स्वयं भगवान विष्णु प्रकट हुए, तो सूर्य भगवान को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने क्षमा मांगी।
भक्तों का विश्वास है कि मंदिर में दर्शन करने से नौ ग्रह संतुलित हो जाते हैं और भय से मुक्ति मिलती है। भक्त भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विशेष अनुष्ठान सुदर्शन यज्ञ कराते हैं और भगवान को तुलसी, माला, और प्रसाद के रूप में आटे का हलवा चढ़ाते हैं।