क्या झारखंड की हेमंत सरकार आदिवासी विरोधी है? पूर्व सीएम चंपई सोरेन का आरोप

सारांश
Key Takeaways
- चंपई सोरेन ने हेमंत सरकार पर आदिवासियों के हितों की अनदेखी का आरोप लगाया है।
- गोड्डा में आदिवासी नेता सूर्या हांसदा की हत्या को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।
- रिम्स-टू के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया विवादास्पद है।
- सीबीआई जांच की मांग की गई है।
- आदिवासी समुदाय के अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता है।
रांची, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता चंपई सोरेन ने पहली बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर खुलकर हमला किया है। गोड्डा में आदिवासी नेता सूर्या हांसदा के मुठभेड़ में मारे जाने और रांची में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज रिम्स-टू के लिए आदिवासियों की भूमि के अधिग्रहण को लेकर उन्होंने हेमंत सरकार को ‘आदिवासी विरोधी’ करार दिया है।
मंगलवार को रांची में अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए चंपई सोरेन ने कहा कि चार बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके सूर्या हांसदा गरीब और आदिवासी बच्चों की निःशुल्क शिक्षा के लिए स्कूल चलाते थे। पूर्व सीएम ने कहा कि गरीबों और आदिवासियों के अधिकारों की लड़ाई में उनके खिलाफ पुलिस ने कई मामले दर्ज किए और इसके बाद उन्हें फर्जी एनकाउंटर में मार दिया गया।
उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच कराई जाए, तभी पीड़ित परिवार को न्याय मिल सकेगा। उन्होंने झारखंड सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि वीर सिदो-कान्हू के वंशजों के साथ बलात्कार के प्रयास करने वालों को संरक्षण मिलता है, जबकि गरीब आदिवासियों पर लाठीचार्ज किया जाता है।
चंपई सोरेन ने सरकार पर आदिवासियों के हितों की अनदेखी और भूमि अधिग्रहण के अवैध तरीकों का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रिम्स-2 के निर्माण के नाम पर आदिवासी किसानों की भूमि को जबरन छीनने की कोशिश की जा रही है, जबकि स्मार्ट सिटी में पर्याप्त सरकारी भूमि उपलब्ध है। उन्होंने पूछा कि जब अस्पताल बनाने के लिए अन्य स्थानों पर पर्याप्त भूमि है तो आदिवासियों की उपजाऊ भूमि क्यों ली जा रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि नगड़ी में किसानों ने पिछले साल तक खेती की थी, लेकिन अब वहां तार की बाड़ लगाकर उन्हें जाने से रोक दिया गया है। उन्होंने सरकार से पूछा कि कौन लोग आदिवासियों की भूमि छीनना चाहते हैं और उन्हें बेघर करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर विभाग हठधर्मिता नहीं छोड़ता तो वे रिम्स टू के लिए चिन्हित की गई भूमि पर 24 अगस्त को ‘हल जोतो, रोपा रोपो’ आंदोलन में शामिल होंगे और खुद हल चलाएंगे।