क्या भीलवाड़ा में चाउमीन खिलाने के बहाने नाबालिग से दुष्कर्म हुआ?

सारांश
Key Takeaways
- नाबालिगों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- समाज में ऐसे मामलों के प्रति जागरूकता बढ़ाना जरूरी है।
- न्यायालय का निर्णय समाज के लिए एक सीख है।
भीलवाड़ा, 13 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। एक ग्यारह वर्षीय मासूम लड़की के साथ चाउमीन खिलाने के बहाने दुष्कर्म की घटना के संदर्भ में पोक्सो कोर्ट संख्या-1 ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। मामले का विश्लेषण करते हुए विशिष्ट न्यायाधीश बालकृष्ण मिश्र ने आरोपी आवेश सिलावट को 20 वर्षों की कठोर सजा और 1.21 लाख रुपए के जुर्माने से दंडित किया।
विशिष्ट लोक अभियोजक धर्मवीरसिंह कानावत ने जानकारी दी कि एक परिवादी ने 7 दिसंबर 2024 को भीमगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। रिपोर्ट में बताया गया कि उसकी बहन पिछले छह महीनों से अपने बच्चों के साथ उसके पास रह रही थी। परिवादी की 11 साल की भांजी मानसिक रूप से कमजोर है और वह पिछले कुछ दिनों से भयभीत महसूस कर रही थी।
जब उसे विश्वास में लिया गया, तो उसने बताया कि एक लड़के ने उसके साथ अनुचित कार्य किया। उसने बताया कि 4 दिसंबर को, जब वह स्कूल से वापस आई, तब एक लड़के ने उसे बुलाया और अपना नाम बताया।
आरोपी ने बच्ची को चाउमीन खिलाने के बहाने एक पार्क में ले जाकर उसके साथ छेड़छाड़ की। फिर उसने चॉकलेट का लालच देकर अश्लील हरकतें कीं। जब परिवादी ने अपनी भांजी से इन सबके बारे में सुना, तो उसने घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज की जांच की।
परिवादी ने रिपोर्ट में उल्लेख किया कि आवेश सिलावट ने नाबालिग को बहला-फुसलाकर ले जाकर दुष्कर्म किया।
इस रिपोर्ट पर पुलिस ने पोक्सो एक्ट के अंतर्गत मामला दर्ज किया और अनुसंधान किया। इसके बाद आरोपी के खिलाफ अपहरण, बलात्कार और पोक्सो एक्ट के तहत न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की।
ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष ने 12 गवाहों के बयान और 23 दस्तावेज पेश कर सिलावट के खिलाफ आरोप सिद्ध किए।
न्यायालय ने ट्रायल पूरा होने पर आरोपी आवेश सिलावट को 20 वर्षों की कठोर सजा और 1.21 लाख रुपये का अर्थदंड दिया।