क्या सावन में छोटे टीले से 80 फीट तक हर साल बढ़ता है महादेव का अर्धनारीश्वर शिवलिंग?

सारांश
Key Takeaways
- भूतेश्वरनाथ का शिवलिंग हर साल आकार में बढ़ता है।
- यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है।
- सावन में भक्त बेलपत्र, दूध और जल चढ़ाते हैं।
- मंदिर का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है।
- स्थानीय लोग इस शिवलिंग में अर्धनारीश्वर की शक्ति मानते हैं।
रायपुर, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सावन के पवित्र मास में भक्त भगवान शिव की भक्ति में लीन हैं। इस समय देशभर के शिवालयों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। ऐसे कई अनोखे मंदिर हैं जो आश्चर्य में डाल देते हैं। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित भूतेश्वरनाथ का मंदिर भी ऐसा ही एक अद्भुत स्थल है। यहां का अर्धनारीश्वर शिवलिंग न सिर्फ प्राकृतिक रूप से बना है, बल्कि हर वर्ष इसका आकार भी बढ़ता है।
यह चमत्कार भक्तों को आश्चर्यचकित करने के साथ-साथ उनकी आस्था को भी गहरा करता है। गरियाबंद से केवल 3 किलोमीटर दूर, घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच स्थित मरौदा गांव में यह विशाल शिवलिंग विराजमान है, जिसे भूतेश्वरनाथ या भकुर्रा के नाम से भी जाना जाता है।
छत्तीसगढ़ सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, यह शिवलिंग अर्धनारीश्वर स्वरूप में पूजा जाता है। जहां कई अन्य मंदिरों के शिवलिंग का आकार छोटा होता है, वहीं भूतेश्वरनाथ शिवलिंग हर साल आकार में बढ़ता जा रहा है। यह अद्वितीय चमत्कार भक्तों को और अधिक हैरान करता है।
मंदिर से जुड़ी एक दंतकथा भी प्रचलित है, जिसके अनुसार लगभग 30 साल पहले, जब यह क्षेत्र घने जंगलों से घिरा हुआ था, मरौदा गांव के आस-पास के ग्रामीणों ने एक छोटे से टीले से बैल की आवाज सुनने का अनुभव किया। छत्तीसगढ़ी में 'हुंकार' को 'भकुर्रा' कहा जाता है, जिससे इस शिवलिंग का नाम पड़ा।
जब ग्रामीण उस टीले के पास पहुंचे, तो वहां कोई जानवर नहीं मिला। धीरे-धीरे ग्रामीणों की इस टीले के प्रति आस्था जागृत हुई और उन्होंने इसे भगवान शिव का स्वरूप मानकर पूजा करना शुरू कर दिया। आज वही छोटा सा टीला 80 फीट ऊंचा विशाल शिवलिंग बन चुका है, जो हर साल बड़ा होता जा रहा है।
सावन के सोमवार और महाशिवरात्रि के अवसर पर हजारों कांवरिए लंबी पैदल यात्रा कर इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। घने जंगलों और पहाड़ियों से होकर गुजरने वाली यह यात्रा भक्तों की श्रद्धा को और प्रगाढ़ करती है। हर साल भक्तों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, क्योंकि इस शिवलिंग के बढ़ते आकार को लोग चमत्कार मानते हैं। मंदिर के चारों ओर का प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण भक्तों को भक्ति में डुबो देता है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस शिवलिंग में अर्धनारीश्वर स्वरूप की शक्ति है, जो शिव और शक्ति के संतुलन को दर्शाता है। भक्तों का विश्वास है कि यहां दर्शन करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति प्राप्त होती है। मंदिर की खोज और इसके बढ़ते आकार ने इसे वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए भी कौतूहल का विषय बना दिया है।
मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग के पास जल तरंग भी कई बार देखी गई हैं।
सावन मास में भक्त बेलपत्र, दूध और जल चढ़ाकर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। मंदिर परिसर में भजनों और मंत्रोच्चार की गूंज सुनाई देती है। स्थानीय प्रशासन और ग्रामीण मिलकर भक्तों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं, ताकि उनकी यात्रा सुखद हो।