क्या प्रियांक खड़गे की सोच घृणित है? छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव का बयान

सारांश
Key Takeaways
- आरएसएस की सांस्कृतिक भूमिका को समझना महत्वपूर्ण है।
- राजनीतिक बयानबाजी में विचारधाराओं का टकराव होता है।
- सोशल मीडिया पर इन मुद्दों पर बहस चल रही है।
रायपुर, १३ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि प्रियांक खड़गे को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है।
उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि आरएसएस देश का सबसे बड़ा संगठन है, जो कला, संस्कृति और संस्कारों के संरक्षण के लिए कार्य करता है। यह एक सांस्कृतिक संस्था है। प्रियांक खड़गे का बयान उनकी घृणित सोच और मानसिकता को दर्शाता है। खड़गे ने पत्र लिखकर संघ के प्रति अपनी नफरत और डर को उजागर किया है। उनके बयान की जितनी निंदा की जाए, कम है।
वास्तव में, कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया को पत्र लिखकर राज्य के सरकारी परिसरों में आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। यह पत्र ४ अक्टूबर को लिखा गया था, जिसे हाल ही में मुख्यमंत्री की मीडिया टीम ने सार्वजनिक किया।
खड़गे ने पत्र में लिखा था कि जब समाज में नफरत फैलाने वाली विभाजनकारी ताकतें सिर उठाती हैं, तो हमारे संविधान के मूल सिद्धांत एकता, समानता और अखंडता हमें उन्हें रोकने का अधिकार देते हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस की शाखाएं सरकारी और अर्ध-सरकारी स्कूलों, सार्वजनिक मैदानों, मंदिरों, पार्कों और पुरातत्व विभाग के स्थलों में संचालित की जा रही हैं, जहां बिना अनुमति के आक्रामक गतिविधियां की जा रही हैं, जिससे बच्चों और युवाओं के मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
इस बीच, डिप्टी सीएम अरुण साव ने आईआरसीटीसी घोटाले को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि यह न्यायालय की प्रक्रिया है। न्यायालय ने यदि अपराध पाया है और जांच हुई है, तो निश्चित रूप से लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को इसका सामना अदालत में करना पड़ेगा।