क्या छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य की 61.20 करोड़ की संपत्ति कुर्क की?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी द्वारा चैतन्य बघेल की 61.20 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की गई।
- छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले में चैतन्य की प्रमुख भूमिका रही।
- जांच में 2500 करोड़ रुपए से अधिक की आपराधिक आय का खुलासा हुआ।
- चैतन्य बघेल ने अपने रियल एस्टेट व्यवसाय के लिए अवैध धन का इस्तेमाल किया।
रायपुर, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की 61.20 करोड़ रुपए की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। यह कार्रवाई सोमवार को छत्तीसगढ़ के चर्चित आबकारी घोटाले के मामले में की गई। केंद्रीय एजेंसी ने इस जानकारी को गुरुवार को साझा किया।
ईडी ने 364 आवासीय भूखंडों और कृषि भूमि के रूप में अचल संपत्तियों को कुर्क किया है, जिनकी कुल कीमत लगभग 59.96 करोड़ रुपए है। इसके अलावा, विभिन्न बैंक खातों और फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में जमा 1.24 करोड़ रुपए की राशि को भी जब्त किया गया है।
छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाले के मामले में एसीबी ने कई धाराओं में चैतन्य बघेल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था, जिसके आधार पर ईडी ने जांच शुरू की।
ईडी के अनुसार, जांच से स्पष्ट हुआ कि इस शराब घोटाले के कारण राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है और अवैध तरीके से अर्जित 2500 करोड़ रुपए से अधिक की आपराधिक आय लाभार्थियों के पास चली गई।
एजेंसी ने कहा कि पीएमएलए के तहत की गई जांच से यह भी सामने आया है कि चैतन्य बघेल का शराब सिंडिकेट में सबसे प्रमुख भूमिका थी। मुख्यमंत्री के बेटे के नाते, उन्हें इस सिंडिकेट का नियंत्रक घोषित किया गया था। सिंडिकेट से जुटाए गए अवैध धन का 'हिसाब' रखने की जिम्मेदारी भी चैतन्य की थी, और उनके निर्देशों पर सभी प्रमुख फैसले लिए जाते थे।
जांच में यह भी पता चला कि चैतन्य को प्राप्त पीओसी का इस्तेमाल उन्होंने अपनी रियल एस्टेट व्यवसाय में किया और इसे बेदाग संपत्ति के रूप में दर्शाया। चैतन्य ने शराब घोटाले से प्राप्त पीओसी का इस्तेमाल अपनी कंपनी बघेल डेवलपर्स के तहत 'विट्ठल ग्रीन' परियोजना के विकास में किया।
चैतन्य बघेल को ईडी ने 18 जुलाई को गिरफ्तार किया था और वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं।
इससे पहले, ईडी ने अनिल टुटेजा (पूर्व आईएएस), अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, अरुण पति त्रिपाठी (आईटीएस) और कवासी लखमा (विधायक एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री) को भी इस मामले में गिरफ्तार किया था।