क्या छिंदवाड़ा मामले में ड्रग कंट्रोलर को जेल और स्वास्थ्य मंत्री को हटाना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- बच्चों की स्वास्थ्य सुविधाएं प्राथमिकता होनी चाहिए।
- राजनीतिक प्रबंधन से ज्यादा जरूरी बच्चों की जान है।
- ड्रग कंट्रोलर की गिरफ्तारी आवश्यक है।
- सरकार की जिम्मेदारी को समझना होगा।
- जनता की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।
भोपाल, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में सर्दी और बुखार से पीड़ित बच्चों की कफ सिरप पीने से हुई मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने ड्रग कंट्रोलर की गिरफ्तारी और स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की है।
पटवारी ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "राज्य की मोहन यादव सरकार को राजनीतिक प्रबंधन करने से पहले बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करनी चाहिए। लगातार बच्चों की मौत हो रही है और अब यह आंकड़ा 22 पर पहुँच चुका है। कई और बच्चे गंभीर हालत में हैं जिनका उपचार जारी है। मैं बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दिलाने की मांग कर रहा हूं, लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव राजनीतिक प्रबंधन में लगे हुए हैं।"
पटवारी ने आगे कहा कि सबसे पहले ड्रग कंट्रोलर को गिरफ्तार कर जेल भेजा जाना चाहिए और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा लिया जाना चाहिए। प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार 12 बच्चों की मौत हुई, लेकिन न तो कोई जांच की गई और न ही कार्रवाई। नतीजा यह हुआ कि बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ता गया। अभी समय है कि जिन बच्चों की हालत गंभीर है और उनका इलाज चल रहा है, उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधा देकर उनकी जान बचाई जाए।
ज्ञात हो कि राज्य सरकार ने अब तक तीन अधिकारियों को निलंबित किया है और एक अधिकारी को हटा दिया है, जबकि कंपनी के मालिक को गिरफ्तार करने की तैयारी हो रही है। इन कार्रवाइयों पर पटवारी ने सवाल उठाए और कहा कि जब तक ड्रग कंट्रोलर को गिरफ्तार नहीं किया जाता और स्वास्थ्य मंत्री को पद से नहीं हटाया जाता, तब तक यही माना जाएगा कि सरकार अपने चेहरे पर लगी कालिख को धोने का प्रयास कर रही है।
वास्तव में, छिंदवाड़ा के परासिया विकासखंड में सर्दी-खांसी से पीड़ित बच्चों को कोल्ड्रिफ दिया गया था, जिसके कारण अब तक 22 बच्चों की मौत हो चुकी है। कई बच्चों का नागपुर के अस्पताल में इलाज चल रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल भी पीड़ित परिवारों के बीच जा चुके हैं। सरकार की ओर से आर्थिक सहायता और बच्चों के उपचार का इंतजाम किया गया है।