चिकित्सा उपकरणों के लिए नए लेबलिंग नियम: क्या उपभोक्ता संरक्षण को मजबूती मिलेगी और उद्योग को राहत?
सारांश
Key Takeaways
- उपभोक्ता संरक्षण को मजबूत करने के लिए नए नियम।
- उद्योग को अनुपालन बोझ में कमी।
- लेबलिंग में स्पष्टता और सटीकता।
- स्वास्थ्य उत्पादों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
- आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम।
नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामले विभाग ने विधिक माप विज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज) संशोधन नियम, 2025 को अधिसूचित कर दिया है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है जो चिकित्सा उपकरणों वाले पैकेजों के लिए विशिष्ट प्रावधान लाता है, जो 2011 के मूल नियमों को 2017 के चिकित्सा उपकरण नियमों के साथ पूरी तरह संरेखित करता है।
इस संशोधन के माध्यम से उपभोक्ताओं, उद्योगों और नियामकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा, जिससे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में स्पष्टता और विश्वास बढ़ेगा।
संशोधन के तहत चिकित्सा उपकरणों वाले पैकेजों पर घोषणाओं (जैसे वजन, मात्रा, मूल्य आदि) में प्रयुक्त अंकों और अक्षरों की ऊंचाई व चौड़ाई के लिए चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 के मानक लागू होंगे। पहले 2011 के विधिक माप नियमों के अलग आयामी मानक थे, जो भ्रम पैदा करते थे। अब अनिवार्य घोषणाएं तो बनी रहेंगी, लेकिन फॉन्ट आकार और डिजाइन चिकित्सा नियमों के अनुसार होंगे। इससे लेबलिंग अधिक सटीक और उपभोक्ता-अनुकूल बनेगी।
इसके अलावा, 2011 नियमों के नियम 33 के तहत दी गई छूट, जो कुछ घोषणाओं में लचीलापन देती है, अब चिकित्सा उपकरणों पर लागू नहीं होगी। यह सुनिश्चित करता है कि स्वास्थ्य-संबंधी संवेदनशील उत्पादों पर कोई ढील न हो, और केवल चिकित्सा ढांचे की आवश्यकताएं ही प्राथमिक रहें।
एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि मुख्य प्रदर्शन पैनल पर विधिक माप नियमों के अनुसार घोषणाएं अनिवार्य नहीं रहेंगी। इसके बजाय, इन्हें चिकित्सा उपकरण नियमों के प्रावधानों के अनुरूप किया जा सकेगा। इससे पैकेजिंग डिजाइन सरल हो जाएगा, बिना सुरक्षा मानकों को प्रभावित किए।
यह संशोधन उपभोक्ताओं को एकसमान लेबलिंग मानक प्रदान करेगा, जिससे ओवरलैपिंग नियमों से होने वाली भ्रांतियां समाप्त होंगी। स्वास्थ्य उत्पादों पर स्पष्ट और एकरूप जानकारी मिलने से उपभोक्ता विश्वास बढ़ेगा, खासकर महामारी के बाद स्वास्थ्य जागरूकता के दौर में। एक स्वस्थ भारत के लिए समरूप मानक स्थापित होते हुए उपभोक्ता संरक्षण मजबूत होगा।
उद्योग के लिए यह 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में बड़ा कदम है। दोहरे नियमों से अनुपालन बोझ कम होगा, स्पष्टता आएगी और व्यापार आसान बनेगा। व्यवसायों को केवल एक सेट मानकों का पालन करना होगा, जिससे लागत घटेगी और निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी। कानूनी माप प्रवर्तन अधिकारियों को भी परिभाषित क्षेत्राधिकार मिलेगा, जिससे राज्य स्तर पर एकसमान प्रवर्तन संभव होगा।