क्या चित्रांगदा सिंह सादगी और ग्लैमर की मिसाल बन चुकी हैं?

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क्या चित्रांगदा सिंह सादगी और ग्लैमर की मिसाल बन चुकी हैं?

सारांश

चित्रांगदा सिंह: बॉलीवुड में अपने अद्वितीय सफर और सादगी के लिए जानी जाने वाली एक प्रेरणादायक शख्सियत। जानें कैसे उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई और किस तरह वह आज एक स्टाइल आइकन हैं।

Key Takeaways

  • चित्रांगदा सिंह की अदाकारी ने उन्हें बॉलीवुड में अद्वितीय पहचान दिलाई।
  • उन्होंने मॉडलिंग से करियर की शुरुआत की और फिल्मों में अपनी जगह बनाई।
  • उनकी कहानी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है।
  • चित्रांगदा ने ग्लैमर और सादगी का बेहतरीन मिश्रण प्रस्तुत किया।
  • वह एक स्टाइल आइकन और स्वतंत्र कलाकार के रूप में जानी जाती हैं।

नई दिल्ली, 29 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी सिनेमा की दुनिया में कुछ ऐसे चेहरे हैं, जो अपनी अदाकारी से अधिक अपनी शख्सियत और सफर के लिए लोगों के दिलों में एक गहरी छाप छोड़ते हैं। चित्रांगदा सिंह भी उन्हीं में से एक हैं। उनकी अदाएं, संवाद अदायगी और सादगी उन्हें बॉलीवुड की भीड़ में एक अनोखी पहचान देती है।

30 अगस्त 1976 को राजस्थान के जोधपुर में जन्मी चित्रांगदा सिंह का बचपन एक अनुशासित परिवेश में गुजरा। उनके पिता निरंजन सिंह भारतीय सेना में अधिकारी थे और भाई दिग्विजय सिंह एक प्रसिद्ध गोल्फ खिलाड़ी बने। बचपन से ही पढ़ाई और कला में रुचि रखने वाली चित्रांगदा ने मेरठ से शिक्षा प्राप्त करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से होम साइंस में स्नातक किया। कम लोग जानते हैं कि वह एक प्रशिक्षित कथक नृत्यांगना भी हैं।

चित्रांगदा का फिल्मी सफर अचानक नहीं शुरू हुआ। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग से की और गुलजार के म्यूजिक वीडियो ‘सनसेट पॉइंट’ ने उन्हें पहली बार दर्शकों के सामने लाया। इसके बाद वह आईसीआईसीआई बैंक, अलुक्कास ज्वेलरी और गार्नियर जैसे बड़े ब्रांड्स का चेहरा बनीं, लेकिन उन्हें असली पहचान 2003 में निर्देशक सुधीर मिश्रा की फिल्म 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी' से मिली। उस फिल्म में गीता राव के किरदार को चित्रांगदा ने इस तरह जिया कि आलोचकों ने उन्हें स्मिता पाटिल और शबाना आजमी की श्रेणी की अभिनेत्री माना।

चित्रांगदा की शादी मशहूर गोल्फर ज्योति रंधावा से हुई थी, लेकिन यह रिश्ता अधिक समय तक नहीं टिक सका और 2014 में दोनों का तलाक हो गया। उन्होंने अपने बेटे जोरावर रंधावा की परवरिश की जिम्मेदारी भी संभाली।

2008 में उन्होंने फिल्म 'सॉरी भाई' से वापसी की। इसके बाद वह लगातार बेहतरीन भूमिकाएं निभाती रहीं। 'ये साली जिंदगी' (2011) और 'इंकार' (2013) जैसी फिल्मों ने उनके करियर को नया मोड़ दिया। वहीं, 'देशी बॉयज' और 'आई मी और मैं' जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने ग्लैमरस और रोमांटिक अंदाज से दर्शकों को आकर्षित किया।

चित्रांगदा ने अपने करियर में अभिनय के साथ-साथ आइटम सॉन्ग के जरिए भी पहचान बनाई। फिल्म जोकर का 'काफी जोशिला गाना' और 'गब्बर इज बैक' का 'आओ राजा' उनके करियर के हिट डांस नंबर रहे हैं। 2018 में उन्होंने एक नया कदम उठाया और निर्माता के तौर पर फिल्म 'सूरमा' बनाई, जो भारतीय हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह की जिंदगी पर आधारित थी और इसे खूब सराहा गया।

आज चित्रांगदा सिंह केवल एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि एक स्टाइल आइकन और स्वतंत्र कलाकार के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने साबित किया है कि ग्लैमर और गहराई, दोनों को एक साथ जीना संभव है। चित्रांगदा की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो करियर और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाकर अपनी पहचान बनाना चाहती हैं।

Point of View

बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे एक महिला अपने सपनों को साकार कर सकती है। उनका उदाहरण हमें यह सिखाता है कि सादगी और ग्लैमर दोनों का संगम संभव है। ऐसे समय में, जब महिलाएं समानता की ओर बढ़ रही हैं, चित्रांगदा का यह सफर प्रेरणा का एक स्रोत है।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

चित्रांगदा सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ?
चित्रांगदा सिंह का जन्म 30 अगस्त 1976 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ।
चित्रांगदा ने अपने करियर की शुरुआत कैसे की?
चित्रांगदा ने अपने करियर की शुरुआत मॉडलिंग से की और गुलजार के म्यूजिक वीडियो से पहचान बनाई।
उनकी प्रमुख फिल्में कौन सी हैं?
चित्रांगदा की प्रमुख फिल्मों में 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी', 'ये साली जिंदगी', और 'इंकार' शामिल हैं।
क्या चित्रांगदा एक प्रशिक्षित नर्तकी हैं?
हाँ, चित्रांगदा सिंह एक प्रशिक्षित कथक नृत्यांगना हैं।
उन्होंने किस फिल्म से निर्माता के रूप में शुरुआत की?
चित्रांगदा ने फिल्म 'सूरमा' से निर्माता के रूप में शुरुआत की।
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