क्या राहुल गांधी को इंडिया ब्लॉक का समर्थन मिला है? भाजपा ने इतिहास का जिक्र कर जवाब मांगा

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी के आरोपों ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।
- गठबंधन के सहयोगियों ने राहुल का समर्थन किया है।
- भाजपा ने नीयत पर सवाल उठाए हैं।
- मतदाता सूची की पारदर्शिता का मुद्दा महत्वपूर्ण है।
- भाजपा ने 1980 के चुनावों का जिक्र किया है।
नई दिल्ली, ८ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी को लेकर निर्वाचन आयोग पर कई आरोप लगाए। इस मुद्दे पर उनके गठबंधन के सहयोगी उनके साथ खड़े हैं, जबकि भाजपा ने उनकी नीयत पर सवाल उठाए हैं।
राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने राहुल गांधी के आरोपों का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से मतदाता सूची में गड़बड़ियों को उजागर किया। ये तथ्य पूरी तरह से पारदर्शी हैं और किसी भी व्यक्ति द्वारा जांचे जा सकते हैं। चुनाव आयोग को मतदाता सूची ऑनलाइन क्यों नहीं करनी चाहिए, ताकि लोग आसानी से देख सकें कि किसी व्यक्ति के कितने वोटर आईडी हैं? प्रिंटेड सूचियों का आम जनता के लिए जांचना कठिन है। विभिन्न दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर चिंता जताई है।
उन्होंने केंद्र सरकार से पूछा कि अगर वह चुनाव आयोग को निष्पक्ष मानती है, तो इस मामले में हस्तक्षेप क्यों नहीं करती? यदि राहुल गांधी के दावे गलत हैं, तो सरकार को तथ्यों के साथ इसे साबित करना चाहिए।
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि उनकी पार्टी ने संसद में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सामान्य प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा। राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में २०२४ के लोकसभा चुनाव में एक विधानसभा क्षेत्र में एक लाख फर्जी वोट बनाकर जीत हासिल करने का आरोप लगाया।
उन्होंने मांग की कि इस वोट चोरी के मामले की जांच हो। उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके चुने हुए लोग चुनाव आयोग को चला रहे हैं, जिससे आयोग की निष्पक्षता खत्म हो चुकी है।
राज्यसभा सांसद संजय यादव ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां वीडियो रिकॉर्डिंग में धांधली सामने आई, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने पूछा कि अगर आयोग की मंशा साफ है, तो वह ६५ लाख मतदाताओं के नाम काटने की वजह क्यों नहीं बताता। आयोग प्रत्येक हटाए गए मतदाता का एपिक नंबर, नाम और हटाने का कारण स्पष्ट करे, जैसे कि व्यक्ति मृत है या दूसरी जगह शिफ्ट हुआ।
उन्होंने कहा कि आयोग उनके सटीक सवालों का जवाब देने के बजाय प्रक्रिया को जटिल बना रहा है, जो उनकी गलत मंशा को दर्शाता है। अगर डुप्लीकेट वोटर हैं, तो आयोग को बताना चाहिए कि इन्हें किसने बनाया।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि १९८० में इंदिरा गांधी के समय ५०० से अधिक स्थानों पर बूथ कैप्चरिंग और वोट चोरी हुई थी।
उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह उसी तरह का माहौल वापस लाना चाहता है, जिससे अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और महिलाओं के वोटिंग अधिकारों का हनन हो। विपक्ष के सलाहकार उन्हें गलत दिशा में ले जा रहे हैं।