क्या चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को एआई आधारित भ्रामक जानकारी के प्रचार से रोका?

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क्या चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को एआई आधारित भ्रामक जानकारी के प्रचार से रोका?

सारांश

चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को एआई-आधारित भ्रामक जानकारी के प्रचार से सावधान किया है। इससे चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि ऐसे गलत सूचना का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। जानिए आयोग के निर्देश और इसके महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • आदर्श आचार संहिता का पालन सभी दलों के लिए अनिवार्य है।
  • एआई आधारित गलत सूचना का प्रचार निषिद्ध है।
  • सोशल मीडिया पर निगरानी रखी जा रही है।
  • निजी जीवन पर टिप्पणी करना निषिद्ध है।
  • सख्त कार्रवाई उल्लंघन करने वालों के खिलाफ की जाएगी।

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव और सात राज्यों की 8 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा के साथ ही 6 अक्टूबर से चुनावी प्रदेशों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। इसी के तहत चुनाव आयोग ने एक महत्वपूर्ण प्रेस नोट जारी किया है। आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को चेतावनीआर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित गलत और भ्रामक वीडियो का उपयोग न करें।

चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि आदर्श आचार संहिता के नियम केवल जमीनी प्रचार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सोशल मीडिया और इंटरनेट पर साझा की गई सामग्री पर भी लागू होते हैं।

आयोग ने कहा कि किसी भी पार्टी या उम्मीदवार की आलोचना केवल उनकी नीतियों, कार्यक्रमों, पूर्व रिकॉर्ड और कार्यों तक सीमित रहनी चाहिए। निजी जीवन पर टिप्पणी करना पूरी तरह निषिद्ध है।

इसके अलावा, किसी भी राजनीतिक दल या उनके कार्यकर्ताओं के खिलाफ बिना पुष्टि के आरोप या जानकारी को तोड़-मरोड़ कर पेश करना गलत है और इसे सख्ती से रोका जाएगा।

चुनाव आयोग ने गहरी चिंता व्यक्त की है कि कुछ लोग एआई टूल्स की मदद से 'डीप फेक' वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर गलत सूचना फैला रहे हैं, जिससे चुनावी माहौल को दूषित किया जा सकता है।

ऐसे मामलों से निपटने के लिए आयोग ने सभी दलों, उनके नेताओं, उम्मीदवारों और स्टार प्रचारकों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि यदि वे कोई एआई-जनरेटेड या डिजिटली बदला गया कंटेंट पोस्ट करें तो उस पर साफ-साफ टैग लगाना अनिवार्य होगा। टैग में 'एआई-जेनरेटेड', 'डिजिटली एनहांस्ड' या 'सिंथेटिक कंटेंट' जैसे शब्द स्पष्ट रूप से लिखे जाने चाहिए ताकि जनता को कोई भ्रम न हो।

आयोग ने कहा है कि सोशल मीडिया पर निगरानी के लिए कड़े इंतजाम किए गए हैं और हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है।

आयोग ने स्पष्ट किया है कि एमसीसी और इससे संबंधित सभी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। चुनाव की निष्पक्षता और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए सभी राजनीतिक दलों को इन नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

Point of View

भ्रामक जानकारी का प्रसार चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। यह जरूरी है कि सभी पार्टियाँ इसे गंभीरता से लें। देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा के लिए सभी को जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए।
NationPress
09/10/2025

Frequently Asked Questions

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को क्या चेतावनी दी है?
चुनाव आयोग ने चेतावनी दी है कि राजनीतिक दल एआई आधारित भ्रामक जानकारी का उपयोग न करें।
आचार संहिता के नियम किस पर लागू होते हैं?
आचार संहिता के नियम जमीनी प्रचार के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी लागू होते हैं।
क्या निजी जीवन पर टिप्पणी करना निषिद्ध है?
जी हां, निजी जीवन पर टिप्पणी करना पूरी तरह से निषिद्ध है।
चुनाव आयोग इस मामले में क्या कर रहा है?
चुनाव आयोग ने ऐसे मामलों की निगरानी के लिए कड़े इंतजाम किए हैं।
क्या एआई-जनरेटेड कंटेंट को टैग करना आवश्यक है?
हां, एआई-जनरेटेड या डिजिटल रूप से बदला गया कंटेंट पोस्ट करने पर टैग लगाना अनिवार्य है।