क्या चुनाव डेटा में हेरफेर कर नैरेटिव गढ़ने की कोशिश हो रही है? आईसीएसएसआर ने मामले का संज्ञान लिया, सीएसडीएस के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी

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क्या चुनाव डेटा में हेरफेर कर नैरेटिव गढ़ने की कोशिश हो रही है? आईसीएसएसआर ने मामले का संज्ञान लिया, सीएसडीएस के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी

सारांश

क्या चुनाव डेटा में हेरफेर कर नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की जा रही है? आईसीएसएसआर ने सीएसडीएस अधिकारी की सोशल मीडिया पोस्ट पर संज्ञान लिया है। इस विवाद ने विपक्षी नेताओं को चुनाव आयोग पर सवाल उठाने पर मजबूर कर दिया है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर महत्वपूर्ण बहस शुरू हो गई है।

Key Takeaways

  • चुनाव डेटा में हेरफेर पर आईसीएसएसआर का संज्ञान लेना महत्वपूर्ण है।
  • चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाना लोकतंत्र के लिए हानिकारक हो सकता है।
  • सोशल मीडिया पर ग़लत सूचना का प्रसार गंभीर मुद्दा है।

नई दिल्ली, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के चुनावों से जुड़े सीएसडीएस अधिकारी द्वारा साझा की गई एक सोशल मीडिया पोस्ट पर राजनीति में उबाल आया है। इस मामले को लेकर आईसीएसएसआर ने संज्ञान लेते हुए कई विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सार्वजनिक बहस पैदा हो गई है। वर्तमान में, आईसीएसएसआर उस अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने की तैयारी कर रहा है।

भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट में लिखा, "आईसीएसएसआर, सीएसडीएस के माध्यम से डेटा में हेरफेर और भारत के चुनाव आयोग की पवित्रता को कम करने के प्रयासों पर गंभीरता से संज्ञान लेता है। यह आईसीएसएसआर के अनुदान सहायता नियमों का घोर उल्लंघन है, और आईसीएसएसआर संस्थान को कारण बताओ नोटिस जारी करेगा।"

पोस्ट में कहा गया है, "यह संज्ञान में आया है कि आईसीएसएसआर द्वारा वित्त पोषित शोध संस्थान, सीएसडीएस में एक जिम्मेदार पद पर आसीन व्यक्ति ने मीडिया में ऐसे बयान दिए थे, जिन्हें बाद में महाराष्ट्र चुनावों से जुड़े डेटा विश्लेषण में गड़बड़ियों के हवाले से वापस लेना पड़ा। इसके अतिरिक्त, संस्थान ने भारत के चुनाव आयोग की ओर से एसआईआर प्रक्रिया की पक्षपातपूर्ण व्याख्या पर आधारित मीडिया में खबरें प्रकाशित की हैं।"

आईसीएसएसआर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह भारतीय संविधान का सर्वोच्च सम्मान करता है। पोस्ट में लिखा है, "भारत का चुनाव आयोग एक उच्च संवैधानिक निकाय है, जो दशकों से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का आयोजन कर रहा है।"

हालांकि, सीएसडीएस के अधिकारी संजय कुमार ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट के लिए माफी मांगी थी। उन्होंने पुरानी पोस्ट को डिलीट करने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "महाराष्ट्र चुनावों के संदर्भ में पोस्ट किए गए पोस्ट के लिए मैं दिल से माफी चाहता हूं। 2024 के लोकसभा और 2024 के विधानसभा चुनावों के आंकड़ों की तुलना करते समय त्रुटि हुई। पंक्ति में दिए गए आंकड़ों को हमारी डेटा टीम ने गलत पढ़ा था। पोस्ट को अब हटा दिया गया है। मेरा किसी भी प्रकार की गलत सूचना फैलाने का कोई इरादा नहीं था।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि लोकतंत्र की नींव उसकी चुनावी प्रक्रिया में निहित है। आईसीएसएसआर द्वारा उठाए गए कदम से यह सिद्ध होता है कि हम अपने लोकतंत्र की रक्षा के प्रति गंभीर हैं। चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता का सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

आईसीएसएसआर ने किस मामले का संज्ञान लिया?
आईसीएसएसआर ने सीएसडीएस अधिकारी की सोशल मीडिया पोस्ट का संज्ञान लिया, जिसमें चुनाव डेटा में हेरफेर का आरोप लगाया गया था।
क्या सीएसडीएस अधिकारी ने माफी मांगी?
हाँ, सीएसडीएस के अधिकारी संजय कुमार ने महाराष्ट्र चुनावों से संबंधित पोस्ट के लिए माफी मांगी थी।
क्या आईसीएसएसआर ने कारण बताओ नोटिस जारी किया?
आईसीएसएसआर इस अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने की तैयारी में है।