क्या सीएम धामी ने नैनीताल में करोड़ों की योजनाओं का शिलान्यास कर आदर्श जिला बनाने का लक्ष्य रखा?
सारांश
Key Takeaways
- नैनीताल को आदर्श जिला बनाने का लक्ष्य।
- पर्यटन और स्थानीय रोजगार पर जोर।
- अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कदम।
- धार्मिक स्थलों के विकास पर ध्यान।
- प्राकृतिक सुंदरता को बनाए रखने का वादा।
नैनीताल, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नैनीताल जिले के दौरे के दौरान कहा कि यह जिला न केवल पूरे प्रदेश, बल्कि देश-दुनिया में पर्यटन, होमस्टे, बागवानी, फल-सब्जी उत्पादन और प्राकृतिक सुंदरता के लिए एक विशिष्ट पहचान रखता है। उन्होंने बताया कि नैनीताल एक ऐसा जनपद है, जो कई दृष्टियों से प्रदेश की रीढ़ की हड्डी के समान है। सरकार का लक्ष्य है कि यह जिला विकास के हर क्षेत्र में एक आदर्श उदाहरण बने, चाहे वह सड़कें हों, पर्यटन सुविधाएं हों, खेती-बाड़ी हो या फिर स्थानीय रोजगार.
सीएम धामी ने कहा कि आज यहां सैकड़ों करोड़ रुपए की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया है। उनका मानना है कि ये सभी योजनाएं न केवल नैनीताल, बल्कि भीमताल विधानसभा क्षेत्र के विकास में भी मील का पत्थर साबित होंगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी परियोजनाएं समय पर और पूरी गुणवत्ता के साथ पूरी की जाएं ताकि लोगों को वास्तविक लाभ मिल सके। उनका कहना है कि जिन योजनाओं की आज शुरुआत हुई है, उन्हें जल्द से जल्द धरातल पर उतारा जाएगा।
उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। धामी ने कहा कि कांग्रेस बाबरी मस्जिद मुद्दे पर खुश होती है, लेकिन कैचीधाम जैसे धार्मिक स्थलों के विकास पर नाराजगी दिखाती है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के शासन में राज्य की डेमोग्राफी से खिलवाड़ हुआ है और बाहरी लोगों को इस तरह बसाया गया कि उसका असर आज राज्य की जनसंख्या संरचना पर दिख रहा है। उनके अनुसार, यह स्थिति देवभूमि की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के लिए खतरा पैदा कर सकती है। धामी ने कहा कि हमने तय कर लिया है कि देवभूमि के मूल अस्तित्व को किसी भी कीमत पर बिगड़ने नहीं देंगे।
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने अवैध कब्जों पर एक बड़ा अभियान चलाया है और अब तक 10,000 एकड़ से ज्यादा सरकारी जमीन को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराया जा चुका है। उन्होंने कहा कि नोटिस देने और सख्त कार्रवाई की वजह से कई लोगों ने खुद ही जमीन को खाली करना शुरू कर दिया है। इसका उद्देश्य यह है कि सरकारी भूमि जनता के हित में इस्तेमाल हो और अवैध बसावट को रोका जा सके।
जब उनसे पूछा गया कि कैचीधाम को लेकर ऐसा क्या है कि कुछ लोगों को परेशानी हो रही है, तो धामी ने कहा कि जहां-जहां देवभूमि की परंपराओं और सनातन संस्कृति से जुड़े महत्वपूर्ण स्थल हैं, वहां विकास या निर्माण कार्य शुरू होते ही कुछ समूहों को दिक्कत होने लगती है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह परेशानी उन्हीं को है जिन्हें धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान मजबूत होते देख समस्या होती है। हालांकि, उन्होंने किसी विशेष समूह का नाम नहीं लिया।