क्या सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात कर हिमाचल के लिए विशेष सहायता मांगी?
सारांश
Key Takeaways
- मुख्यमंत्री ने वित्तीय सहायता की मांग की है।
- राज्य की वित्तीय स्थिति पहले से अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है।
- प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारी नुकसान हुआ है।
- ऋण सीमा में वृद्धि की मांग की गई है।
- वित्त मंत्री ने सकारात्मक विचार का आश्वासन दिया है।
शिमला, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भेंट कर राज्य की वित्तीय स्थिति को देखते हुए विशेष सहायता की मांग की। मुख्यमंत्री ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ऋण सीमा में दो प्रतिशत की वृद्धि और अनुदान एवं ऋण सहायता में अधिक उदारता की अपील की।
सुक्खू ने बताया कि राज्य सरकार के लगातार प्रयासों के बावजूद राजस्व घाटा अनुदान में निरंतर कमी और पिछले तीन वर्षों में आए प्राकृतिक आपदाओं के कारण प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 में जहां राजस्व घाटा अनुदान 10,249 करोड़ रुपए था, वहीं वर्ष 2025-26 में यह घटकर केवल 3,257 करोड़ रुपए रह गया है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदाओं के चलते लगभग 18,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, जबकि 1,321 लोगों की मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि इन आपदाओं ने न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था बल्कि श्रम शक्ति और संसाधनों पर भी गंभीर असर डाला है।
सुक्खू ने यह भी कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की हाल की योजना के कारण राज्य के कर आधार में कमी आई है, जिससे वित्तीय स्थिति और चुनौतीपूर्ण हो गई है। उन्होंने वित्त मंत्री से अनुरोध किया कि हिमाचल की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विशेष वित्तीय सहायता एवं अनुदान उपलब्ध कराया जाए।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री की मांगों को ध्यान से सुनते हुए कहा कि राज्य की आवश्यकताओं पर सकारात्मक विचार किया जाएगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि हिमाचल को विशेष केंद्रीय सहायता के तहत अतिरिक्त मदद प्रदान करने पर विचार किया जाएगा, साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र की योजनाओं के लिए अतिरिक्त स्वीकृति भी दी जाएगी।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद एवं हिमाचल कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल, मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह, प्रधान सचिव (वित्त) देवेश कुमार, प्रधान आवासीय आयुक्त अजय कुमार यादव और केंद्रीय वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।