क्या सीएम योगी ने जाति और धर्म आधारित आदेश पर नाराजगी जताई है?

सारांश
Key Takeaways
- जाति और धर्म के आधार पर प्रशासनिक कार्रवाई नहीं सहन की जाएगी।
- सरकार समरसता और समान अधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध है।
- भेदभावपूर्ण आदेशों को रद्द किया जाएगा।
- अधिकारियों को निष्पक्षता का निर्देश दिया गया है।
- सरकार का दृष्टिकोण संविधान और न्याय के मूल सिद्धांतों पर आधारित है।
लखनऊ, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पंचायती राज विभाग के उस आदेश पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है, जिसमें ग्राम सभा की जमीन से अवैध कब्जा हटाने की प्रक्रिया को विशेष जाति (यादव) और धर्म (मुस्लिम) से संबंधित किया गया था। मुख्यमंत्री ने इसे 'भेदभावपूर्ण और अस्वीकार्य' बताते हुए तुरंत रद्द करने का निर्देश दिया है।
उन्होंने इस मामले को गंभीर प्रशासनिक चूक मानते हुए संबंधित संयुक्त निदेशक एस.एन. सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस तरह की भाषा और सोच शासन की नीति के खिलाफ है और समाज में बंटवारा करने वाली है, जिसे कतई सहन नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई पूरी तरह से निष्पक्ष और कानून के अनुसार होनी चाहिए, न कि जाति या धर्म के आधार पर।
उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी गलती न हो, इसका कड़ा ध्यान रखा जाए। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि सरकार समरसता, सामाजिक न्याय और सभी के समान अधिकारों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकारी नीतियां किसी भी व्यक्ति, समुदाय या वर्ग के प्रति पूर्वाग्रह पर आधारित नहीं हो सकतीं।
सोमवार को सहारनपुर में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "सनातन धर्म के बढ़ते गौरव से कांग्रेस और सपा परेशान हैं। पहले की सरकारें आतंकियों को संरक्षण देती थीं और सनातन धर्म की परंपराओं को कमजोर करने का प्रयास करती थीं, लेकिन अब भारत अपनी आध्यात्मिक विरासत के साथ विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है।"
उन्होंने कहा कि भाजपा की डबल इंजन सरकार ने सहारनपुर क्षेत्र की उपेक्षा को समाप्त कर दिया है और विकास तथा सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में एक नया अध्याय शुरू किया है। इस पूरे मामले से सरकार का स्पष्ट संदेश है कि जाति और धर्म के आधार पर किसी भी प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई न तो स्वीकार की जाएगी और न ही उसे बर्दाश्त किया जाएगा।