क्या सीएम योगी के इको टूरिज्म प्रयासों का असर दिख रहा है? सलखन फॉसिल्स पार्क को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान!

सारांश
Key Takeaways
- सलखन फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की संभावित सूची में शामिल किया गया है।
- यह पार्क लगभग 1.4 अरब वर्ष पुराने जीवाश्मों का घर है।
- सीएम योगी के प्रयासों ने इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया है।
- पर्यटन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है।
- आगामी 2 वर्षों में पार्क की स्थायी सूची में शामिल होने की संभावना है।
लखनऊ, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। योगी सरकार ने दुनिया के सबसे प्राचीन जीवाश्म पार्क में गिने जाने वाले सलखन फॉसिल्स पार्क को विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल करने की बड़ी उपलब्धि प्राप्त की है। अब सलखन फॉसिल पार्क का विवरण यूनेस्को की वेबसाइट डब्ल्यूएचसी डॉट यूनेस्को डॉट ओआरजी स्लैश इन स्लैश टेंटेटिव लिस्ट्स पर उपलब्ध है।
इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को एक नई दिशा मिलेगी। वर्तमान में सलखन फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल किया गया है। सीएम योगी के निर्देशों के अनुसार, इको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की स्थायी सूची में शामिल करने के लिए एक डोजियर तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही भारत सरकार को सौंपा जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि अगले 2 वर्षों में यह फॉसिल्स पार्क यूनेस्को की स्थायी सूची में शामिल हो सकता है।
प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगातार महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। इसके साथ ही इको टूरिज्म को भी प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। सीएम योगी के प्रयासों का परिणाम है कि इको पर्यटन विकास बोर्ड ने हाल ही में कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य से दुधवा टाइगर रिजर्व तक रेल कनेक्टिविटी प्रदान करने वाली पर्यटक ट्रेन में विस्टाडोम कोच का संचालन शुरू किया है।
सीएम योगी के नेतृत्व में, उत्तर प्रदेश इको पर्यटन विकास बोर्ड ने दुनिया के सबसे प्राचीन जीवाश्म पार्क में गिने जाने वाले सलखन फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल कराने की महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए विभाग ने पिछले एक वर्ष से प्रयास किया है। फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की लिस्ट में शामिल कराने के लिए 26 जून 2024 को मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश इको पर्यटन विकास बोर्ड एवं बीरबल साहनी पुरावनस्पति विज्ञान संस्थान के मध्य एक एमओयू साइन किया गया था। इसके अंतर्गत संस्थान द्वारा फॉसिल्स पार्क में पत्थरों पर मौजूद जीवाश्म का अध्ययन किया गया, जिसमें 1,400 मिलियन वर्ष पुराने शैवाल और स्ट्रॉमैटोलाइट्स के जीवाश्म पाए गए, जो धरती पर प्राचीन जीवन के प्रमाण प्रदान करते हैं। इन साक्ष्यों के आधार पर यूनेस्को की सूची में पार्क को शामिल करने के लिए आवेदन किया गया।
पर्यटन निदेशक प्रखर मिश्र ने बताया कि किसी भी धरोहर को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए पहले उसे अस्थायी सूची में शामिल किया जाता है। इसके बाद स्थायी सूची में दर्ज कराने के लिए डोजियर तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में लगभग एक वर्ष का समय लगता है। यूनेस्को की टीम आकर उस स्थान का अध्ययन करती है, जिसे यूनेस्को की स्थायी सूची में शामिल किया जाता है।
पर्यटन निदेशक ने बताया कि सोनभद्र के फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की स्थायी सूची में दर्ज कराने के लिए डोजियर तैयार किया जा रहा है, जिसे शीघ्र ही भारत सरकार को सौंपा जाएगा। इसके बाद इसे यूनेस्को को भेजा जाएगा। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि अगले 2 वर्षों में फॉसिल्स पार्क को यूनेस्को की स्थायी सूची में स्थान मिल सकता है। इससे राज्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और वैश्विक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि सलखन फॉसिल पार्क का विश्व के अन्य जीवाश्म पार्कों से तुलनात्मक अध्ययन भी किया गया है। सलखन के जीवाश्म लगभग 140 करोड़ वर्ष पुराने हैं। जबकि, विश्व धरोहर सूची में पूर्व से सम्मिलित अमेरिका के येलो स्टोन पार्क के जीवाश्म लगभग 50 करोड़ वर्ष पुराने हैं, कनाडा के मिस्टेकन प्वाइंट के जीवाश्म लगभग 55 करोड़ वर्ष पुराने हैं और कनाडा के जॉगिंस फॉसिल क्लिफ के जीवाश्म 31 करोड़ वर्ष पुराने हैं। सलखन फॉसिल्स पार्क के जीवाश्म की महत्ता को देखते हुए इनका यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में शामिल होने की प्रबल संभावना है, जिसके लिए उत्तर प्रदेश इको पर्यटन विकास बोर्ड निरंतर प्रयासरत है।
पृथ्वी की प्राचीन धरोहर में बढ़ती राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रुचि के बीच, सलखन फॉसिल पार्क, जिसे सोनभद्र फॉसिल्स पार्क भी कहा जाता है, यूनेस्को विश्व धरोहर सूची में एक स्थायी स्थान प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित सलखान गांव के पास स्थित यह पार्क, कैमूर वन्यजीव अभयारण्य और विंध्य पर्वत श्रृंखला के बीच एक सुंदर भू-भाग में स्थित है। 25 हेक्टेयर में फैली यह स्थल प्राचीन बलुआ पत्थर में संरक्षित कुछ सबसे पुरानी और सर्वश्रेष्ठ स्ट्रॉमैटोलाइट्स (प्राचीन, परतदार, सूक्ष्मजीवों से बने चट्टान के गठन) का घर है, जो लगभग 1.4 अरब वर्ष पुरानी हैं। ये जीवाश्म सूक्ष्मजीव संरचनाएं पृथ्वी पर जीवन के सबसे प्रारंभिक रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं और ग्रह के जैविक अतीत में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं।