क्या कांग्रेस नेतृत्व ने तेलंगाना में कराई गई जाति जनगणना की सराहना की?

सारांश
Key Takeaways
- जाति जनगणना का आयोजन सामाजिक न्याय के लिए महत्वपूर्ण है।
- तेलंगाना ने नवीनतम आंकड़े प्रस्तुत किए हैं।
- कांग्रेस ने राजनीतिक एकता का आह्वान किया है।
- जनगणना के प्रश्नों को सार्वजनिक रूप से तैयार किया गया है।
- भाजपा इसका विरोध कर रही है।
नई दिल्ली, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित वरिष्ठ कांग्रेस के नेताओं ने तेलंगाना की कांग्रेस सरकार को राज्य में एक सार्थक और व्यापक आधार पर जाति जनगणना कराने के लिए बधाई दी।
तेलंगाना सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, रोजगार, राजनीतिक और जाति सर्वेक्षण २०२४ पर जनगणना विवरण प्रस्तुत करने के अवसर पर इंदिरा भवन में आयोजित समारोह में बोलते हुए, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि तेलंगाना ने पूरे देश को एक नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी द्वारा जाति जनगणना कराना वास्तव में एक साहसिक कदम है।
खड़गे ने पिछड़ों, अनुसूचित जातियों और अल्पसंख्यकों के बीच एकता का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब ये समुदाय सामाजिक और राजनीतिक रूप से एकजुट होकर कांग्रेस का समर्थन करेंगे, तो पार्टी को देश भर में ६०-७० प्रतिशत समर्थन मिल सकता है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने राहुल गांधी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने न केवल जाति जनगणना का मुद्दा उठाया, बल्कि संविधान की रक्षा का बीड़ा भी उठाया और 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान' का नारा देकर लोगों में हिम्मत भरी। इसका फायदा कांग्रेस को संसदीय चुनावों में मिला है। राहुल गांधी के दबाव के कारण ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रस्तावित आम जनगणना में जाति जनगणना को शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
राहुल गांधी ने रेवंत रेड्डी को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने न केवल जाति जनगणना कराई, बल्कि इसे असाधारण रूप से अच्छी तरह और सही भावना से किया। यह देश में सामाजिक न्याय के लिए एक मील का पत्थर है। यह देशव्यापी जाति जनगणना के लिए मानक स्थापित करेगा, चाहे भाजपा इसे पसंद करे या न करे। उन्होंने बताया कि जाति जनगणना बंद दरवाजों के पीछे नहीं की गई। तेलंगाना के लाखों लोगों से पूछा गया था कि वे क्या प्रश्न पूछना चाहते हैं। अंत में ५६ प्रश्न चुने गए, जो व्यक्ति के पास सत्ता में हिस्सेदारी, उसके द्वारा सामना किए जाने वाले भेदभाव, उसके पास मौजूद संपत्ति, ज्ञान और शिक्षा को परिभाषित करते हैं।
उन्होंने कहा कि तेलंगाना के पास अब २१वीं सदी का सामाजिक-आर्थिक, राजनीतिक और वित्तीय आंकड़ा है। अब तेलंगाना के पास विकास को लक्षित करने की शक्ति है। उन्होंने जाति जनगणना के बाद तेलंगाना के दूसरे कदम का भी जिक्र किया, जिसमें शिक्षा, सरकारी नौकरियों और पंचायती राज संस्थाओं में आरक्षण पर ५० प्रतिशत की सीमा हटाई गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहले ही इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेज चुकी है, लेकिन भाजपा इसे पारित नहीं होने दे रही है। उन्होंने आगे कहा कि देश में मोदी सरकार सही तरीके से जाति जनगणना नहीं करने जा रही है, क्योंकि मोदी सरकार भारत के लोगों को उनकी वास्तविक स्थिति नहीं बता सकती, चाहे वे ओबीसी हों, दलित हों, आदिवासी हों या सामान्य जातियां हों।